12 फ़ीसद तहफ़्फुज़ात बरफ़दान की नज़र

तेलंगाना स्टेट वजूद में आने के बाद के सी आर की ज़ेर क़ियादत हुकूमत अपने एक साल मुकम्मिल करने जा रही है। एसे में तमाम तबकों की नज़रें के सी आर की तरफ उठ रही हैं के उन्होंने तमाम तबकों की तरक़्क़ी के लिए जो ख़ुशकुन वादे किए हैं वो अभी तक ना पाया-ए-तकमील को पहूंचे हैं और ना इस सिलसिले में कोई पेशरफ़त दिखाई देती है। वक़्फ़ बोर्ड को जूडीशल पावर देने की बात हो या तालीम मुलाज़िमतों में 12 फ़ीसद तहफ़्फुज़ात की बात हो अभी तक इस सिलसिले में कोई हलचल नज़र नहीं आती। के जी ता पी जी मुफ़्त तालीम का मसला भी इस तरह तात्तुल का शिकार है। इसी तरह उर्दू को दूसरी सरकारी ज़बान बनाए जाने की बात कही गई लेकिन हुकूमत ख़ुद अपने महिकमों के लोगो से उर्दू को नज़रअंदाज कर रही है और हर थोड़े दिन बाद उर्दू दुश्मनी ज़ाहिर हो रही है।

के सी आर जो हरवक़त मुस्लिम दोस्ती का दम भरते रहते हैं हालिया कौंसिल चुनाव में मुस्लिम नुमाइंदगी को सिफ़र का दर्जा दिया एक तरफ़ इंसाफ़ की बात करते हैं और फ़ौरन दूसरी तरफ़ नज़रअंदाज करते रहते हैं। अभी के सी अर को और उन के वादों को समझाना एक मुअम्मा से कम नहीं है। इस लिए तमाम तबकों मुसालमानें में काफ़ी तशवीश पाई जाती है।