मुल्क भर की निगाहें अब जुमे पर टिकी हैं। हो भी क्यों न, 13 सितंबर का दिन ही ऐसा है। दरअसल, इस दिन दो बड़े फैसले आ सकते हैं। एक अदालत से आएगा और दूसरा सियासत के दरवाजे से।
दरअसल, दिल्ली गैंगरेप मामले में मुल्ज़िम ठहराए गए चार दरिंदों को फांसी पर चढ़ाया जाए या फिर ताउम्र जेल में सड़ाया जाए, इस पर साकेत की फास्ट ट्रैक कोर्ट जुमे के दिन अपना फैसला सुनाएगी।
यह फैसला बुध के दिन आना था, लेकिन जज योगेश खन्ना ने सवेरे 11 बजे से सजा पर बहस की शुरुआत कराई, जो करीब 1:45 बजे तक जारी रही।
इसके बाद उन्होंने सजा पर फैसला महफूज़ रखा और कहा कि इस पर अदालत अपना हुक्म जुमे के दिन दोपहर 2:30 बजे सुनाएगी।
सरकारी वकील ने बहस के दौरान कहा कि खातियों को सजा-ए-मौत दी जानी चाहिए, क्योंकि इससे समाज में एक पैगाम जाएगा और यह फैसला ऐसे दरिंदों के मन में खौफ पैदा करेगा।
दूसरी ओर बचाव पार्टी के वकील ने दलील दी कि गुनाहगारों का ट्रैक रिकॉर्ड खराब नहीं रहा है और उन्हें फांसी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यह मामला रेयरेस्ट ऑफ रेयर मामले में नहीं आता।
जज ने दोनों पार्टीयों की बात बड़े गौर से सुनी और अब फैसला सुनाया जाना बाकी है।
सियासत से आएगा दूसरा बड़ा फैसला?
अदालत से चलें सियासत की ओर, तो एक बड़ा फैसला वहां से भी आ सकता है। दरअसल, बीजेपी लंबे अर्से से नरेंद्र मोदी को मोर्चे पर लाने की कवायद में लगी है, लेकिन पीएम के ओहदे के लिए उनके नाम का ऐलान अब तक नहीं किया गया।
इम्कान है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दबाव और पार्टी की डिमांड पर आखिरकार मोदी के नाम का ऐलान पार्टी पीएम के दावेदार के तौर पर कर सकती है।
इसके लिए बीच का रास्ता भी निकाला जा रहा है। ऐसा कहा जा रहा है कि मोदी को अगर दावेदार बनाया जाता है, तो उन्हें इंतेखाबी मुहिम कमेटी के चीफ का ओहदा छोड़ना होगा।
ज़राए के मुताबिक ऐसा होने पर यह ओहदा लोकसभा में अपोजिशन की लीडर सुषमा सवराज या राज्यसभा में अपोजिशन के लीडर अरुण जेटली को सौंपा जा सकता है।
बीजेपी बीते कुछ दिनों से लालकृष्ण आडवाणी को मनाने की कोशिशों में जुटी है, क्योंकि वह मोदी के नाम का ऐलान करने के हक में नहीं बताए जाते। अब देखना यह है कि क्या पार्टी जुमे के दिन से पहले उन्हें मनाने में कामयाब होती है या नहीं?
अगर ऐसा हुआ, तो पार्टी मोदी के नाम का ऐलान करेगी और जुमे के दिन मुल्क को दो बड़े फैसले मिलेंगे।
बशुक्रिया: अमर उजाला