कमिशनर अक़लीयती बहबूद शेख़ मुहम्मद इक़बाल ने आज दाएरतुल माअरूफ़ उस्मानिया यूनीवर्सिटी का दौरा किया और इदारा की सरगर्मीयों का जायज़ा लिया। उन्हों ने इस 130 साला क़दीम इदारा की कारकर्दगी पर इतमीनान का इज़हार किया और उस की सरगर्मीयों को वुसअत देने की ज़रूरत ज़ाहिर की। डायरेक्टर दाएरतुल माअरूफ़ प्रोफ़ैसर मुहम्मद मुस्तफ़ा शरीफ़ ने इदारा की कारकर्दगी से वाक़िफ़ कराया।
उन्हों ने बताया कि 1882 में निज़ाम शुशम नवाब मीर महबूब अली ख़ान के फ़रमान से दाएरतुल माअरूफ़ का क़ियाम अमल में आया जिस का बुनियादी मक़सद अरबी मख़तूतात की तहक़ीक़ और उस की इशाअत अमल में लाना है।
130 साल से दाएरतुल माअरूफ़ ने 200 से क़दीम मख़तूतात पर तहक़ीक़ करके उनकी इशाअत अमल में लाई। डायरेक्टर ने दाएरतुल माअरूफ़ को दर्पेश मुख़्तलिफ़ मसाइल से वाक़िफ़ कराया जिन में स्टाफ़ की कमी अहम मसअला है।
फ़िलहाल एक ही मुस्तक़िल मुलाज़िम शोबा तसहीह में बरसरे ख़िदमत है जबकि माबकी तमाम मुलाज़िमीन कांट्रैक्ट असास पर हैं। दाएरतुल माअरूफ़ के रिटायर्ड मुलाज़िमीन को ग्रेजवीटी और बक़ायाजात अदा करना बाकी हैं।
उन्हों ने दाएरतुल माअरूफ़ के क़दीम प्रिंटिंग प्रैस का मुशाहिदा किया। उस्मानिया यूनीवर्सिटी एग्ज़ीक्यूटिव कौंसिल के रुक्न अब्दुल क़ादिर फ़ैसल, डायरेक्टर माइनॉरिटी सेल उस्मानिया यूनीवर्सिटी डॉक्टर मुहम्मद अंसारी, असिसटेंट रजिस्ट्रार एम ए नोमान, असिसटेंट रजिस्ट्रार मुहम्मद अब्दुल नसीर, डॉक्टर शुजाअ उद्दीन कादरी और दीगर अफ़राद मौजूद थे।