14 फिसद एमएलए चाहते हैं झारखंड में शराब बंद हो

रांची : झारखंड के 94 फीसद एमएलए रियासत में शराबबंदी चाहते हैं.  सिर्फ छह फीसद एमएलए चाहते हैं कि झारखंड में शराब पर बैन नहीं लगे. लेकिन सभी एमएलए (54 विधायकों की राय इसमें शामिल की गयी है) शराब को  नुकसानदेह मानते हैं. इनमें 50 फीसद यानी 27 एमएलए रियासत में हड़िया पर भी बैन चाहते हैं. लेकिन दिगर 50 फीसद एमएलए चाहते हैं कि हड़िया झारखंड की रिवायत से जुड़ा है. इसलिए पर्व, परंपरा या खुशुसि माैकों पर इसे बैन नहीं लगना चाहिए. रियासत के कुल 82 एमएलए में से 55 विधायकाें ने एक अखबार से बात की. इनमें सदर ने पॉलिसी मामला हाेने की बात कह काेई भी राय देने से इनकार कर दिया. 
 
दाे एमएलए की माैत हाे गयी है़  दाे एमएलए जेल में हैं, जिनसे बात नहीं हाे सकी. कुल 54  एमएलए  ने  पूछे गये सवालाें का जवाब दिया. इनमें 51 एमएलए शराबबंदी के हक में हैं, जबकि सिर्फ तीन एमएलए नहीं चाहते कि रियासत में शराब बंद हाे. वजीरे आला काे इस सवाल-जवाब से अलग रखा गया था. 

हड़िया बैन पर विधायक बंटे हुए दिखे. सर्वे में यह बात सामने आयी कि झारखंड में हड़िया यहां की कलचर का हिस्सा है, इसलिए इसके बैन के वक्त इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि पर्व-त्याेहार, शादी या दिगर मौकों पर लाेगाें काे दिक्कत न हाे. इसपर छूट मिलनी चाहिए. झारखंड के 54 में से 27 विधायक चाहते हैं कि हड़िया पर भी बैन लगे, लेकिन 10 विधायक  नहीं चाहते कि किसी तरह का बैन लगे. 17 विधायक चाहते हैं कि रिवायत पर असर नहीं पड़े, लाेगाें में बेदारी फैलाने का पहले कोशिस हाे, एक विधायक (वजीर भी हैं) ने कहा कि पहले अध्ययन हाेना चाहिए. दाे ने कहा कि राेजगार की पहले निजाम हाे. जहां तक पार्टियों का सवाल है, भाजपा के 15 विधायक हड़िया पर भी बैन चाहते हैं, जबकि झामुमाे के 13 में से सिर्फ छह विधायक हड़िया पर बैन चाहते हैं. इनमें दाे ने साफ किया कि किसी भी हाल में हड़िया पर बैन नहीं लगना चाहिए. कांग्रेस के पांच में चार बैन चाहते हैं. दाे विधायकाें ने अपनी राय देते हुए कहा कि हड़िया ताे शराब है ही नहीं, इसलिए यह सवाल करना मुनासिब नहीं है.
 
 
शिबू सोरेन (दुमका)  : झारंखड में पहले ही शराबबंदी होनी चाहिए थी. यह नौजवान पीढ़ी के लिए घातक है. लोगों को हड़िया के खिलाफ बेदार करने की जरूरत है.
विद्युत वरण महतो (जमशेदपुर) : शराबबंदी का हक में रहा हूं. हड़िया ट्राइबल की कल्चर व रिवायत से जुड़ा है. 
रामटहल चौधरी (रांची)  : झारखंड में भी मुकम्मिल शराबबंदी होनी चाहिए. नशा समाज के लिए नुकसानदेह है. 
सुदर्शन भगत (लोहरदगा)  : झारखंड में शराबबंदी होनी चाहिए. हड़िया का पर्व-त्योहार और घरों तक महदुद रहना चाहिए. खुले बाजार में बिक्री न हो.
 
बिष्णु दयाल राम (पलामू) : रियासत में शराब पर बैन लगाना चाहिए. यह नौजवानों के लिए नुकसानदेह  है. जहां तक हड़िया का सवाल है, इसमें ढील मिलनी चाहिए.

इनपुट : प्रभात खबर