14.25 लाख की गड़बड़ी

जमशेदपुर 20 अप्रैल : को-ऑपरेटिव कॉलेज में लाखों रुपये की माली बेज़ब्तागियों का मामला रौशनी में आया है। यूनिवेर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) से मिले 14.25 लाख रुपये का मुताल्लिक मद में इस्तेमाल किये बगैर ही अफादियत सर्टिफिकेट तैयार कर दिया गया। जबकि इस रक़म का किस मद में इस्तेमाल किया गया, यह ताफ्शिस का मौजु है। इसे लेकर कॉलेज एन्तेज़ामिया भी जांच की तैयारी में लगा है।

क्या है मामला : यह रक़म यूजीसी की 12वीं मंसूबाबंदी के तहत साल 2010-11 में कॉलेज में रीमेडियल क्लास, कौमी अहलियत इम्तेहान (नेट) के लिए क्लास मुनक़्क़द करने वगैरा के मद में तक़सीम किये गये थे। इसका मकसद दर्ज फेहरिस्त कौम, कबायली व कमजोर तबके के तलबा की बेहतरी था।

कॉलेज से मुन्स्लिक अस्ताज़ा और तलबा का कहना है कि गुजिस्ता तीन-चार साल के दौरान यहां न तो रीमेडियल क्लास मुनक़द की गयीं और न ही नेट या किसी दुसरे मुकाबला इम्तेहान की तैयारी के लिए कोई क्लास हुई।

“इस तरह का मामला हमारे नोटिस में आया है। तब मैं इस कॉलेज का प्रिंसिपल नहीं था। लिहाज़ा हकीक़त क्या है, 14.25 लाख रुपये का किस तरह इस्तेमाल किया गया, यह जांच का मौज़ू है। मुलाज़ेमिन की हड़ताल ख़त्म होने के बाद मुताल्लिक कागजात की भी जांच की जायेगी।”
डॉ आरके दास, प्रिंसिपल, को-ऑपरेटिव कॉलेज

“रीमेडियल क्लास वगैरह के मद में कॉलेज को यूजीसी से रक़म मिली या नहीं, मैं नहीं जानता। यह प्रिंसिपल और कॉलेज इंतेजामिया सतह की बात है। लेकिन मेरी जानकारी में गुजिस्ता तीन-चार साल के दौरान कॉलेज में न तो तलबा को नेट की तैयारी के लिए और न ही किसी तरह की रीमेडियल क्लास मुनक़्क़द की गयी है।”
डॉ विजय कुमार पीयूष, लेक्चरर हिंदी

“हम यहां काफी दिनों से हैं। तालिबे इल्म तंजीमों से मुन्सलिक़ होने के नाते कॉलेज की सरगर्मियों पर हमारी भी नजर रहती है।”
महकमा और चीफ सरपरस्त, टाकू

“हमारी जानकारी में गुजिस्ता सालों में किसी तरह की रीमेडियल क्लास मुनक़्क़द नहीं की गयी। साल 2010 में यूजीसी से कॉलेज को अगर इस मद में रक़म मिली थी, तो उसका इस्तेमाल होना चाहिए था, वरना यह तालिबे इल्म मुफ़ाद की खिलाफ़वर्जी है।”
मनोज चौबे-राजीव दूबे, छात्र नेता, को-ऑपरेटिव