15 वर्षीय अशफाक ने खुद की प्रवाह किए बगैर बचाया 20 बच्चों की जान

हरियाणा के मेवात में बमबाहेरी गांव के मदरसे में 6 अप्रैल को एक बहुत ही दर्दनाक घटना हुआ। जहां मौलवी बन्ने की इच्छा रखने वाले 15 वर्षीय अशफाक ने मदरसे में पढने वाले 20 बच्चों की जान तो बचा लिया, लेकिन खुद को नहीं बचा पाया।

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दरअसल हुआ यूँ कि 6 अप्रैल की शाम के वक्त अशफाक कुरान पढ़ने मदरसा पहुंचा। इसी दौरान तेज आंधी-तूफान आया। आंधी इतनी तेज थी कि मस्जिद की एक मीनार हिलने लगी। अशफाक की नजर अचानक हिलती उस मीनार पर गई। उसे लगा कि यहाँ बड़ा खतरा हो सकता है। उसने फ़ौरन ही चिल्लाकर और बच्चों को इसके बारे में बताया, जिसके बाद बच्चे बाहर भागने लगे।

लेकिन अशफाक नहीं भागा और वो बाकी बच्चों को बाहर निकालने के सतत प्रयास में जुटा रहा। इसी दौरान मीनार टूटकर छत पर गिर गई। अशफाक और उसके साथ एक और बच्चा उसके नीचे दब गया। जिसके बाद में गांववालों ने उन्हें निकाला। तब तक उसमें कुछ जान बाकी थी, उसे आनन फानन में अस्पताल ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने कहा कि इसकी हालत काफी खराब है। इसे तुरंत ही दिल्ली लेकर जाएं, तो बचने की उम्मीद हो सकती है। अशफाक को दिल्ली लाया गया, मगर असफाक बच न सका।

इससे पहले बता दें कि महज 15 वर्षीय अशफाक को जब कोई यह पूछता कि बड़े होकर क्या बनोगे, तो वो कहता था कि मौलवी बनेंगे। इस उम्र के बाकी लड़के जाने क्या सपने देखते होंगे। लेकिन अशफाक सोचता था कि एक दिन मस्जिद की इस मीनार से उसकी आवाज गूंजेगी।

लेकिन अशफाक का ये सपना अधूरा ही रह गया। पिछले हफ्ते शुक्रवार को आई तेज आंधी में उसके मदरसे की मीनार टूटकर नीचे गिर गई। अशफाक उसके नीचे दबकर मर गया। लेकिन मरने से पहले उसने जिन 20 बच्चों की जान बचाई, वो ताउम्र उसको याद रखेंगे। अशफाक हमेशा उनका हीरो रहेगा।