दिल्ली में गुजरात दंगे की 15वीं बरसी पर ज़किया जाफ़री के साथ

गुजरात नरसंहार को आज 15 साल बीत चुके हैं। आज ही के दिन इस नरसंहार की शुरुआत हुई थी जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। अगर यूँ कहा जाए कि इस नरसंहार ने देश की साख, संस्कृति और भाईचारे की तहज़ीब पर कालिक पोत दी थी कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।

खैर, यूँ तो इस नरसंहार को हुए 15 साल बीत चुके हैं लेकिन इसके चोट के ज़ख्म अभी भरे नहीं है। अब भी इसमें से खून रिसता रहता है। धीरे-धीरे। हलके दर्द के साथ। कुछ दर्द अपनी ज़िन्दगी बर्बाद होने का है, कुछ अपने घर मोहल्ले से तबादलों का है और कुछ इस भयंकर नरसंहार के ज़िम्मेदार के कोर्ट से बरी होने और देश की राजनीति में दखल देने का।

इसी दर्द और भीतर की छटपटाहट को याद करने के लिए आज कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में गैर सरकारी संगठन अनहद की तरफ से एक प्रोग्राम किया जा रहा है। ‘फासीवाद के बढ़ते कदम’ के नाम रखे गए इस प्रोग्राम में गुलबर्ग सोसायटी हिंसा में मारे गए एहसान जाफरी की बेटी नशरीन जाफरी, तीस्ता सीतलवाड़, दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अपूर्वानंद सहित कई लोग शामिल हुए हैं।

बता दें कि ये सभी वो लोग हैं जिन्होंने गुजरात नरसंहार के पीड़ितों को न्याय दिलाने में ज़मीन स्तर से काम किया है। और अभी भी इनकी कोशिश जारी है।

इस मौके पर नशरीन जाफरी ने कहा, ‘मुझे आज भी याद है कि मेरे अब्बा के कातिलों ने कैसे उनको जलाया और काटा था।’

  • नवेद अख्तर