16 दिसंबर की रात की खौफनाक सच्चाई

नई दिल्ली, 05 जनवरी: मुल्क को हिला देने वाले दिल्ली गैंगरेप मामले में इकलौते चश्मदीद गवाह‌ ने पहली बार चुप्पी तोड़ी है। एक निजी टीवी चैनल से बातचीत में मुतास्सिरा के दोस्त ने कहा कि काश मैं उसे बचा पाता। मुतास्सिरा की भी आखिरी ख्वाहिश थी कि दरिंदों को फांसी की बजाय जिंदा जलाया जाना चाहिए।

नौजवान ने कहा कि जब दरिंदों ने उसे और लड़की को बस से फेंक दिया था तो उसने वहां से गुजर रहे कई लोगों को रोकने की कोशिश की, लेकिन लोग उन्हें देखकर भी गुजरते रहे।

25 मिनट की कोशिशों के बाद एक शख्स वहां रुका। जबकि पीसीआर वैन को मौके पर पहुंचने में 45 मिनट लग गए। वहां तीन पीसीआर वैन पहुंचीं और इसके बाद पुलिस वाले इस बहस में उलझे रहे कि जाय हादिसा किस थाने के तहत आता है, जबकि मेरी दोस्त संगीन हालत में सड़क पर पड़ी थी।

चैनल के मुताबिक 28 साला इस नौजवान का नाम अवैंद्र प्रताप ‌पांडेय है। वह पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। नौजवान ने इंटरव्यू में बताया कि इस्मतरेज़ि के बाद मुल्ज़िम लड़की को बस से कुचलना चाहते थे। बाद में हमने किसी तरह पुलिस को इसकी इतेला दी, पर पुलिस भी करीब आधे घंटे तक आपस में उलझी रही।

उन्होंने कहा कि जब हमलोग सफदरजंग अस्पताल पहुंचे तो किसी ने उन्हें कंबल तक नहीं दिया। पुलिस के रवैये पर सवाल उठाते हुए उसने कहा कि जब लड़की शदीद तौर से जख्मी थी तो उन्हें पास के किसी निजी अस्पताल में क्यों नहीं भर्ती कराया गया?

नौजवान ने कहा कि अगर यह मामला मीडिया नहीं उछालता तो यह भी एक आम केस की तरह दब जाता। इस हादिसा के बाद उसने हर समय पुलिस की मदद की। नौजवान ने इस्मतरेज़ि जैसे मामलों में कानून में बदलाव की वकालत की। उसने कहा कि जब हर कोई जानता है कि ‌दरिंदों ने लड़की के साथ कितना घिनौना जुर्म किया तो फिर अदालती कार्यवाही क्यों?

वाजेह है कि लड़की और उसका दोस्त एक मॉल में फिल्म देखने के बाद मुनिरका बस स्टैंड पहुंचे थे। यहां से वह उस बस में सवार हो गए, जिसमें पहले से मौजूद छह हैवानों ने लड़की के साथ गैंगरेप किया और उसे शदीद चोट पहुंचाईं।

उन्होंने उसके साथी दोस्त को भी पीटा और बाद में दोनों को चलती बस से सड़क पर फेंक दिया। बाद में मुतास्सिरा लड़की का इलाज के दौरान सिंगापुर के अस्पताल में मौत हो गई थी।