161 आतंकियों को सज़ा-ए-मौत सुना चुकी सैन्य अदालत को पाकिस्तान सरकार ने खत्म किया

पाकिस्तान की विवादित सैन्य अदालतें दो साल बाद शनिवार (7 जनवरी) को खत्म कर दी गर्इं। इन अदालतों का गठन सेना के एक स्कूल पर तालिबान के घातक हमले के बाद कट्टर आतंकियों की त्वरित सुनवाई के लिए किया गया था। अब तक 161 आतंकियों को मौत की सजा सुना चुकी। उस हमले में लगभग 150 बच्चे मारे गए थे। इन अदालतों की स्थापना संविधान में संशोधन के जरिए की गई थी। यह संशोधन 16 दिसंबर 2014 को पेशावर के स्कूल पर किए गए हमले के बाद किया गया था। इस कदम से भारी बहस छिड़ गई थी और अदालतों में विभिन्न मानवाधिकार कार्यकर्ताआें ने इसे देश के संविधान और अंतरराष्ट्रीय चार्टरों में वर्णित मूलभूत मानवाधिकारों का उल्लंघन करार दिया था।

इन अदालतों को काम करने दिया गया क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने संसद की ओर से साल 2015 में लागू किए गए 21वें संवैधानिक संशोधन और पाकिस्तान सेना (संशोधन) विधेयक, 2015 को वैध करार दिया था। संशोधन में यह सुनिश्चित किया गया था कि ये अदालतें दो साल बाद खत्म होंगी। सेना द्वारा नागरिकों पर मुकदमा चलाने की असाधारण ताकतों की समाप्ति के बारे में सरकार या सेना की ओर से कोई औपचारिक बयान नहीं आया क्योंकि इन्हें दो साल बाद खत्म हो ही जाना था। सैन्य अदालत में पहली दोषसिद्धियां अप्रैल 2015 में हुर्इं और अंतिम दोषसिद्धि 28 दिसंबर 2016 को की गई।

दो साल की इस अवधि के दौरान अदालतों को 275 मामले सौंपे गए और अदालतों ने 161 आतंकियों को मौत की सजा सुनाई। 116 अन्य आतंकियों को कैद की सजा सुनाई गई। इनमें से ज्यादातर को उम्रकैद दी गई। सेना के मुताबिक, अब तक सिर्फ 12 दोषियों की मौत की सजा की तामील हुई है। जिन आतंकियों को सजाएं सुनाई गर्इं, वे अल-कायदा, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान, जमातउल अहरार, तौहीद वल जिहाद ग्रुप, जैश-ए-मुहम्मद, हरकत-उल-जिहाद-ए-इस्लामी, लश्कर-ए-झंगवी, लश्कर-ए-झंगवी अल-आलमी, लश्कर-ए-इस्लामी और सिपह-ए-सहाबा से जुड़े थे।सैन्य अदालतों में दोषसिद्धि के बाद जिन आतंकियों को फांसी पर चढ़ाया गया, उनमें पेशावर स्कूल हमले का साजिशकर्ता शामिल था।

अब तक जिन आतंकी मामलों को सैन्य अदालतों में भेजा जा रहा था, अब उनकी सुनवाई देश में पहले से सक्रिय आतंकवाद-रोधी अदालतों में की जाएगी। पाकिस्तान सुरक्षा कानून के रूप में पहचाने जाने वाले आतंकवाद रोधी कानून के पिछले साल खत्म हो जाने के बाद विशेष अदालत व्यवस्था खत्म हो गई। यह अदालतों की अनुमति के बिना आतंकियों को 90 दिन तक हिरासत में रखने की अनुमति देती थी। पाकिस्तान के नवनियुक्त सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने सैन्य अदालतों की ओर से 21 कट्टर आतंकियों की मौत की सजाओं की पुष्टि पिछले महीने की थी।