1984 सिख फसादाद में अमिताभ भी गवाह

नई दिल्ली, 13 फरवरी: 1984 में सिखों के खिलाफ हुए दंगों के एक मामले में अमिताभ बच्‍चन को गवाह बनाया जा सकता है। पुल बंगश सिख दंगा मामले में कांग्रेस के लीडर टाइटलर के खिलाफ नजर ए सानी की दरखास्त की सुनवाई के दौरान मुतास्सिर पार्टी ने अमिताभ बच्चन और कांग्रेसी लीडर आरके धवन के बयान दर्ज न करने पर सवाल उठाया।

इजाफी सेशन जज अनुराधा शुक्ला की अदालत में मंगल के दिन दरखास्त पर वकील एचएस फूलका ने मुतास्सिर फ्करीक़ की ओर से बहस पूरी की। द्ररखास्त में सी बीआई 19 फरवरी को अपना जवाब दाखिल करेगी। मामला गुरुद्वारा पुल बंगश में एक नवंबर 1984 को तीन सिखों के कत्ल से मुताल्लिक है। बाड़ा हिंदूराव थाने में यह मामला दर्ज किया गया था।

टाइटलर के खिलाफ नानावती जांच कमीशन की सिफारिश पर 2005 में मुकदमा दर्ज किया गया था। मुतास्सिर‌ लोकेंदर कौर ने टाइटलर को सीबीआई की क्लीनचिट के खिलाफ सेशन कोर्ट में नजरे सानी की दरखास्त दायर की थी। लोकेंदर कौर दंगों में मारे गए बादल सिंह की बीवी हैं। टाइटलर पर पुल बंगश इलाके में दंगा भड़काने और बादल समेत तीन सिखों के कत्ल हत्या का इल्ज़ाम है।

दरखास्त पर बहस करते हुए वकील फूलका ने कहा कि सीबीआई को अमिताभ बच्चन, आरके धवन, साबिक पुलिस कमीश्नर गौतम कौल को गवाह के तौर पर अदालत में बुलाना चाहिए। सीबीआई ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट को सही साबित करने के लिए मुल्ज़िम की ओर से दी गई वीडियो सीडी कड़कड़डूमा वाकेय् एसीएमएम राकेश पंडित की कोर्ट में पेश की थी।

आरोपी टाइटलर का कहना था कि दंगों के दौरान वे तीन मूर्ति भवन में इंदिरा गांधी के जसद ए खाकी (पार्थिव शरीर) के पास थे। इस सीडी में वक्त और तारीख का ज़िक्र नहीं किया गया है। मुतास्सिर फरीक़ का कहना है कि इस सीडी में आरके धवन, गौतम कॉल और अमिताभ बच्चन को टाइटलर के नजदीक खड़े दिखाया गया है।

इस लिहाज से वीडियो सीडी की हकीकत के पैमाने के पेशे नज़र इन तीनों के बयान दर्ज होने चाहिए थे।