नई दिल्ली। मुलायम सिंह यादव ने 1990 में में विवादित ढांचे को बचाने के लिए कारसेवकों पर गोली चलवाने के अपने फैसले पर अफसोस जाहिर किया, लेकिन कहा कि धर्मस्थल को बचाने के लिए ऐसा करना जरूरी था।मुलायम सिंह यादव ने ये कह कर नई सियासत की नज़रियात को पेश किया है। इस बयान से वो साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि हिंदू और मुसलमान दोनों के फिक्रमंद है। पिछले पांच सालों में यूपी में मुसलमानों को बहुत ही मुश्किल दौर से गुजरना पड़ा है।जाहिर है मुसलमान मुलायम सिंह की पार्टी से दूरी बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
कर्पूरी ठाकुर की जयंती के मौके पर सपा के प्रदेश उपाध्यक्ष ऑफिस में एक प्रोग्राम के दौरान कहा कि साल 1990 में उनके मुख्यमंत्रित्वकाल में अयोध्या में विवादित ढांचे को बचाने के लिए उन्होंने कारसेवकों पर गोली चलाने का हुक्म दिए थे, इसका उन्हें अफसोस है। लेकिन धर्मस्थल को बचाना जरूरी था, इसलिए गोली चलाई गई।
उन्होंने कहा कि संसद में तत्कालीन नेता विपक्ष अटल बिहारी वाजपेयी ने इस घटना का जिक्र किया था तो उन्हें यह जवाब दिया गया था कि धर्मस्थल बचाने के लिए गोली चलाई गई थी और उस घटना में 16 लोगों की मौत हुई थी। अगर इसमें और भी ज्यादा जाने जाती हैं तो भी यह कदम पीछे न खींचते।
मुलायम ने कहा कि उन्हें इस बात का दुख है और इसलिए उन्होंने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे दिया था। सपा मुखिया ने सूबे के मंत्रियों की एक बार फिर जमकर खिंचाई की। उन्होंने कहा कि सूबे के मंत्री पैसा कमाने में जुटे है अगर उन्हें पैसा ही कमाना था तो सियासत में आने के बजाय कोई कारोबार कर लेना चाहिए था ।