नई दिल्ली : पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा की पुस्तक इन माई डिफेंस जल्द ही जारी होने वाली है। पुस्तक में उन्होंने अपने उस दावे को दोहराया है कि उन्हें उन फैसलों के लिए जिम्मेदार ठहराया गया और बली का बकरा बनाया गया जो तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने मंजूर किए थे। किताब में यह भी लिखा है कि जिन नीतियों को लेकर उन्हें कसूरवार ठहराया जा रहा है, उन्हें पी चिदम्बरम और प्रणब मुखर्जी जैसे शीर्ष नेताओं ने मिलकर आकार दिया था। इसके अलावा मोदी शासन में बैंक बोर्ड ब्यूरो के हेड बनाए गए तत्कालीन कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल विनोद राय सरकार को अस्थिर करने की अंतरराष्ट्रीय साजिश में शामिल थे। इस तरह के कई दावे राजा ने अपनी किताब में किए हैं जिनसे 2जी घोटाले पर नए सिरे से सियासी जंग छिड़ सकती है। राजधानी के एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के अनुसार राजा ने मनमोहन सिंह के बारे में लिखा है कि पूर्व प्रधानमंत्री ने एक खास इरादे से लगाए जा रहे आरोपों और शोर मचा रहे मीडिया के सामने टिके रहने की मानसिक शक्ति नहीं रह गई थी।
उनके कार्यालय में काम करने वाले कुछ लोगों सहित उनके कुछ सहयोगियों ने उन्हें गुमराह किया। राजा ने विनोद राय के बारे में लिखा है कि राय अधिकार के दुरुपयोग के प्रतीक हैं। इस मामले में विदेश और देश में भीतर से ही साजिश के नेटवर्क की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। अखबार के अनुसार सिंह के कार्यालय ने राजा की किताब के बारे में भेजे गए सवालों का जवाब नहीं दिया है जबकि राय ने कहा है कि वे राजा की बातों का जवाब देना पसन्द नहीं करते हैं। भारत की राजनीति किताबों के घेरे में कहना न होगा कि भारत की राजनीति एक के बाद एक किताबों के विवाद में घिरती जा रही है।
पिछले दिनों मारग्रेट अल्वा ने अपनी आत्मकथा से एक धमाका किया तो उससे पहले पीवी नरसिंह पर लिखी विनय सीतापति की किताब से विवाद हुआ। राजा को कानूनी फायदा नहीं हालांकि राजा को अपनी के जरिए किए गए खुलासे का कोई कानूनी फायदा नहीं होगा, लेकिन उन्होंने विपक्ष को पूरा मसाला उपलब्ध करा दिया है। राजा ने करीब 15 महीने जेल में बिताए थे। पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) विनोद राय ने भी दावा किया था कि मनमोहन सिंह को टू जी घोटाले की खबर पहले से थी लेकिन वे इस पर चुप्पी साधे रहे।