20 लाख बच्चे रहे भूखे

असात्ज़ा के बायकाट की वज़ह रियासत के 20 फीसद प्रायमरी स्कूलों में जुमेरात को मिड डे मील नहीं बना, जिससे 20 लाख से ज्यादा बच्चे स्कूलों में भूखे रहे। रियासत हुकूमत की तरफ से कार्रवाई की धमकी देने के बावजूद बिहार रियासत प्रायमरी असात्ज़ा यूनियन का कहना है कि मिड डे मील का बायकाट जारी रहेगा।

बिहार रियासत प्रायमरी असात्ज़ा यूनियन के एलान का पटना और दानापुर में खास असर नहीं दिखा। मिड डे मील के पटना सदर साधन सेवी विनोद कुमार ने बताया कि पटना सदर के देहि इलाके के तकरीबन 109 स्कूलों में मिड डे मील बनाया गया, जबकि शहरी इलाके के 283 स्कूलों “एकता शक्ति फाउंडेशन” की तरफ से बना हुआ खाना भेजा गया। वहीं, चिरैयाटांड़ वस्ती स्कूल में तंजीम की तरफ से बना खाना बच्चों ने खाया। लेकिन, सारण जिले के ज़्यादातर ब्लाक के प्रायमरी और वस्ती स्कूलों में चूल्हा नहीं जला। सोनपुर, गड़खा, परसा, नगरा में ज़जुवी असर दिखा, वहीं लहलादपुर, मांझी, और नगरा में पहले की तरह स्कूलों में मिड डे मील बना।

गोपालगंज में 1775 स्कूलों में से 1632 में मिड डे मील का ओपेरशन होता है। इनमें महज़ 310 स्कूलों में खाना बना। सीवान के 25 फिसद स्कूलों में खाना नहीं बना। बेगूसराय में 1611 स्कूलों में मिड डे मील चल रही है, जिनमें तकरीबन 900 में खाना नहीं बना। बक्सर में 1153 स्कूल में 1000 में मिल डे मील दिया जाता है।

सुप्रीम कोर्ट को दी जायेगी इत्तेला

इधर, तालीम महकमा के प्रिंसिपल सेक्रेटरी अमरजीत सिन्हा ने प्रेस कांफ्रेस में कहा कि औसतन 10 फीसद स्कूलों में किसी-न-किसी वज़ह से रोज मिड डे मील बंद रहता है। लेकिन, अस्ताज़ा के बायकाट की वज़ह जुमेरात को 20 फीसद स्कूलों में खाना नहीं बंटा, जो गलत है। यूनियन से फिर दरख्वास्त है कि वह मिड डे मील का बायकाट न करे। अगर वे बायकाट जारी रखेंगे, तो उन पर कार्रवाई होगी। साथ ही सुप्रीम कोर्ट को इसकी इत्तेला दी जायेगी, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के 2004 के हुक्म पर ही तमाम रियासतों में यह मंस्बा शुरू की गयी थी।

असात्ज़ा के नाम के साथ मालूमात मांगी गयी

उन्होंने कहा कि असात्ज़ा के बायकाट की वज़ह कहां-कहां मिड डे मील बंद रहा, इसकी मालूमात मांगी गयी है। मालूमात आने पर तमाम से वजाहत पूछा जायेगा। यूनियन ने बिना कोई इत्तेला दिये बायकाट शुरू किया है। मिड डे मील से असात्जों को अलग करना सियासी मसला है। इस पर रातों-रात कोई फैसला नहीं लिया जा सकता है। डीएम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिये मिड डे मील पर मुसलसल निगरानी करने का हिदायत दिया गया है। मिड डे मील की अहम जिम्मेदारी स्कूल तालीम कमेटी की है। इसके मेंबर हेड मास्टर होते हैं, इसलिए इस काम से वे अपने को अलग नहीं रख सकते हैं।