200 करोड़ के ठेके पर वज़ीर के बेटे की नजर!

झारखंड हुकूमत एक तरफ रियासत में तरक़्क़ी कामों में तेजी लाने की कोशिश कर रही है। नयी तकर्रुरी की अमल शुरू की गयी है। वहीं दूसरी तरफ, हुकूमत के कुछ महकमा में नियमों को ताक पर रख कर फैसले लिये जा रहे हैं। एक वज़ीर के महकमा में उनके बेटे की चलती है। फैसला बेटे का होता है, वालिद महज़ फाइल पर साइन करते हैं। वज़ीर के बेटे ट्रांसफर-पोस्टिंग में भी खूब मशरुफ़ रहता है। वज़ीर के महकमा में उनके रिश्तेदार भी हावी हैं।

झारखंड हुकूमत के एक वज़ीर के महकमा उनके बेटे चला रहे हैं। महकमा के तमाम फैसले बिना वज़ीर के बेटे के नहीं होते। इत्तिला है कि रियासत के एक अहम आदरा के डाइरेक्टर वज़ीर के बेटे के इशारे पर ही बदले गये। बताया जाता है कि इस अदारा में बुनियादी इनफ्रास्ट्रक्चर को लेकर 200 करोड़ से ज़्यादा का टेंडर होना है। अभी से ही टेंडर मैनेज करने की तैयारी चल रही है। बहस है कि अपने लोगों को काम देने के लिए वज़ीर के बेटे ने मनपसंद डाइरेक्टर की पोस्टिंग करायी है। जानकारों के मुताबिक नये डाइरेक्टर बनाने में नियमों को भी ताक पर रखा गया है।
खरीदारी में भी कमीशन की तैयारी

वज़ीर के महकमा के अंदर कॉर्पोरेशन की तशकील किया गया है। वज़ीर पुत्र ने यहां भी अपनी पसंद के अफसर को जिम्मेदारी दे दी है। पहले से इस महकमा में सेक्रेटरी की जिम्मेदारी निभा रहे अफसर को ही कॉर्पोरेशन का एमडी बना दिया। इस कॉर्पोरेशन के जरिये से करोड़ों की खरीदारी होनी है। इत्तिला है कि इसमें भी वज़ीर के बेटे के सुझाव पर रास्ता सेक्रेटरी इस कॉर्पोरेशन के पहले से सादर थे। अब एमडी का भी काम करेंगे। वज़ीर के बेटे का ये अफसर को पूरा हाथ है।

एक शख्स के लिए नियम बदलने की तैयारी

वज़ीर के तहत आनेवाले एक अदारा को मुखतलिफ़ कंपनियों में बांट दिया गया है। नयी कंपनियों में कोई ओहदेदार नहीं है। यहां भी कुछ ठेके निबटाये जाने हैं। ओहदेदार नहीं होने की वजह ठेके को हतमी शक्ल देना मुमकिन नहीं हो रहा है। वज़ीर चाहते हैं कि ठेके को हतमी शक्ल दे दिया है। इस काम में पुराने लोग ही शामिल हों। इसलिए नयी कंपनियों में पुराने लोगों को ही अहम ओहदे देने के लिए नियम बदलने का दबाव डाला। हुकूमत भी उनके दबाव में आ गयी। अफसरों के नियम और कानून के तर्क धरे रह गये। नियम बदलने के लिए कागजी अमल पूरी की जा रही है।

बाशुक्रिया : प्रभात खबर