मंसूबा बंदी कमीशन ने आज कहा कि हिंदूस्तान में ग़ुर्बत में कुछ पाँच साल के दौरान 7.3 फ़ीसद नकात की कमी वाक़्य हुई है। 2009-10 में ये जुमला आबादी का 29.8 फ़ीसद(%) हो गई। देही इलाक़ों में ग़ुर्बत में कमी, शहरी इलाक़ों की बनिसबत 2004 05 और 2009 10 ज़्यादा तेज़ रफ़्तार थी। मंसूबा बंदी कमीशन के तख्मीना का आज इजरा अमल में आया। इसमें दावा किया गया है कि 2004 05 में ग़रीबों की तादाद 40 करोड़ 72 लाख थी जो 2009 10 में 34 करोड़ 47 लाख हो गई है।
मर्दुमशुमारी के आदाद-ओ-शुमार के मुताबिक़ ग़ुर्बत की सतह में 7.3 फ़ीसद नकात की कमी वाक़्य हुई है और ये 41.8 फ़ीसद से 33.8 फ़ीसद यानी 8 फ़ीसद कम हो गई है। शहरी ग़ुर्बत में 4.8 फ़ीसद कमी आई है।ग़ुर्बत में तेज़ रफ़्तार इन्हितात 10 फ़ीसद नकात तक हिमाचल प्रदेश , मध्य प्रदेश , महाराष्ट्रा , उड़ीसा , सिक्किम , तमिलनाडू , कर्नाटक और उत्तराखंड में देखा गया।
जारी कर्दा आदाद-ओ-शुमार के बमूजब शुमाल मशरिक़ी रियास्तों में आसाम , मेघालय , मनीपुर , मीज़ोरम और नागालैंड में ग़ुर्बत में इज़ाफ़ा देखा गया। बाअज़ ग़ुर्बत रियास्तें जैसे बिहार , छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश में ग़ुर्बत में कमी नजरअंदाज़ किए जाने के काबिल थी। मंसूबा बंदी कमीशन के तख़मीना के मुताबिक़ ग़ुर्बत तरीका-ए-कार पर मुनहसिर होती है जैसा कि कमेटी ने अपनी सिफ़ारिशात में दावा किया है , इसमें सेहत और तालीम पर अख़राजात में शामिल हैं। इसके इलावा कैलोरीज़ के इस्तेमाल पर भी इस का इन्हेसार होता है। आदाद-ओ-शुमार से इन्किशाफ़ होता है कि मज़हबी ग्रुप्स में देही इलाक़ों में ग़ुर्बत सब से कम सिखों में पाई जाती है।