2013 में सरमायाकारी के एतेमाद का अहया अव्वलीन तरजीह

नई दिल्ली, 02 जनवरी: ( पी टी आई) सरमायाकारों के एतेमाद के अहया और मआशी कसादबाज़ारी जिसने वज़ारत मालियात को 2012 के दौरान मुश्किलात से दो-चार किया को तेज़ रफ़्तार बनाने 2013 के दौरान अव्वलीन तर्जीह दी जाएगी । अब जबकि सबकी नज़रें नए वज़ीर मालियात पी चिदम़्बरम की जानिब लगी हुई हैं जो फ़रवरी में बजट पेश करने वाले हैं ।

मआशी हालात को बेहतर बनाने के लिए हालाँकि काफ़ी वक़्त दरकार है और हुकूमत के इलावा रिज़र्व बैंक आफ़ इंडिया (RBI) की कोशिशों से भी ये अंदाज़ा नहीं होता कि मुल्क की मईशत एक जानदार वापसी करेगी । वज़ीर ए मालियात पी चिदम़्बरम ने पहले ही ये इशारा दे दिया है कि मुल्क की मईशत को दुबारा अपने पैर पर खड़ा करने के लिए कुछ कड़वी कसैले फ़ैसले करने पड़ेंगे ।

क्योंकि सिर्फ़ ऐसे ही फ़ैसले मुल्क के इनफ़रास्ट्रक्चर मसारिफ़ और दीगर शोबा जात में सरमायाकारी को बेहतर बना सकते हैं । जहां तक तरक़्क़ी-ओ-फ़रोग़ का सवाल है तो मईशत में इब्तिदाई तौर पर बेहतरी ज़रूर पैदा हुई थी लेकिन अब ये एक बार फिर कसादबाज़ारी का शिकार होती जा रही है जैसा कि 2008 में आलमी मआशी बोहरान के दौरान‍ तजुर्बा हुआ था लेकिन उस वक़्त भी आलमी सतह पर तरक़्क़ी याफ़ता ममालिक की बनिसबत हिंदूस्तान की मईशत इतनी बुरी तरह मुतास्सिर नहीं हुई थी जितने अंदेशे ज़ाहिर किए गए थे ।

जनवरी मार्च (2012) के दौरान तरक़्क़ी की शरह घट कर 5.3 फ़ीसद हो गई थी यानी गुज़शता कई सालों के मुक़ाबले में 2012 के पहले सहि माही तरक़्क़ी की रफ़्तार इंतिहाई सुस्त रही । हालाँकि साबिक़ वज़ीर मालियात परनब मुखर्जी ने तरक़्क़ी की रफ़्तार को तेज़ करने अपनी तमाम तर कोशिशों को आज़माया था ।

लेकिन इन्हेतात के सिलसिला पर क़ाबू नहीं पा सके थे। परनब मुखर्जी के सदर जमहूरीया के ओहदा पर फ़ाइज़ होने के बाद ये क़ियास आराईयां की जा रही थीं कि चिदम़्बरम शायद बेहतर वज़ीर ए मालियात साबित नहीं होंगे लेकिन अब तक उनकी कारकर्दगी इतमीनान बख्श रही है ।

फ़रवरी में पेश किए जाने वाले बजट के बाद उनकी सलाहीयतों का मज़ीद अंदाज़ा हो जाएगा ।