मआशी तरक़्क़ी और शरहनमो के एतबार से हिंदूस्तान को मज़ीद एक परेशान कुन-ओ-ख़तरनाक साल का सामना करना पड़ेगा । क्योंकि आइन्दा साल 2013 में भी यूरोप की मआशी सूरत-ए-हाल बदस्तूर अबतर और इंतिहाई दुशवार कुन रहेगी जिसका सिलसिला कम से कम 2014 तक जारी रहेगा ।
आलमी बैंक के आला माहिर मआशियात कोशक बासू ने ये अंदेशा ज़ाहिर करते हुए कहा कि आलमी मईशत में चूँकि यूरोप का आज भी कलीदी किरदार है । चुनांचे योरोपी मआशी बदहाली के मुज़िर असरात बिशमोल हिंदूस्तान दुनिया के दीगर ममालिक पर मुरत्तिब होना फ़ित्री बात है ।
मिस्टर कोशक बासू ने अख़बारी नुमाइंदों से बात चीत कर रहे थे । मिस्टर बासू ने जो दिसंबर 2009 से जुलाई 2012 तक हकूमत-ए-हिन्द के मआशी मुशीर भी थे ।उम्मीद ज़ाहिर की कि आइन्दा दो साल के दौरान हिंदूस्तानी शरहनमो 8 और 9 फ़ीसद सालाना तक पहूंच सकती है ।
मिस्टर बासू ने इदारा बराए इंसानी तरक़्क़ी की एक तक़रीब से ख़िताब करते हुए मज़ीद कहा कि आइन्दा दो साल के दौरान मुझे यक़ीन है कि आलमी मईशत इंतिहाई दुशवारकुन हालात से गुज़रेगी । इन हालात में हिंदूस्तान क्या कर सकता है । उसको इंफ़रास्ट्रक्चर में सरमायाकारी करनी चाहीए और तरक्कियात के आसान इदारों में सरमायाकारी करनी होगी ।
मिस्टर बासू ने कहा कि चंद ममालिक इंफ़रास्ट्रक्चर में सरमायाकारी में बेहतरीन काम किए हैं लेकिन हिंदूस्तान इसमें नाकाम हो गया है । चीन जैसे ममालिक ने इनफ़रास्ट्रक्चर में भारी सरमायाकारी की है लेकिन जहां तक इनफ़रास्ट्रक्चर में सरमायाकारी की बात है हम ने ऐसा नहीं किया है ।
मंसूबा बंदी कमीशन ने 12 वीं पंचसाला मंसूबा के दौरान इनफ़रास्ट्रक्चर के शोबा में एक खरब अमेरीकी डालर की सरमायाकारी का निशाना मुक़र्रर किया है । उन्होंने कहा कि 1991 के बाद हिंदूस्तान की मआशी तरक़्क़ी मिसाली रही लेकिन इस तरक़्क़ी के फ़वाइद हमारी ख़ाहिशात के मुताबिक़ सबको नहीं पहूंच सके हैं।
आलमी बैंक ने रवां मालीयाती साल के दौरान 55 फ़ीसद हिंदूस्तानी शरहनमो का तख़मीना किया है और तवक़्क़ो ज़ाहिर की गई है कि 2013 के दिवान शरहनमो 6 फ़ीसद से कम रहेगी । जबकि 2014 और 2015 के दौरान शरह तरक़्क़ी तक़रीबा 7 फ़ीसद रहेगी । इक़तिसादी मुशीर आला रघूराम राजन ने कहा कि रवां मालीयाती साल के दौरान हिंदूस्तान की शरहनमो 5.5 और 6 फ़ीसद के दरमियान रहेगी ।।