2018 विंटर ओलंपिक : रूस के खेलने पर लगा प्रतिबंध

दक्षिण कोरिया में 2018 विंटर ओलंपिक खेल अगले साल 9 फ़रवरी को शुरू होंगे, लेकिन इन खेलों से एक शक्तिशाली देश नदारद रहेगा, वो है रूस. अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने डोपिंग मामले में 2018 विंटर ओलंपिक खेलों में हिस्सा लेने से रूस को प्रतिबंधित कर दिया है. हालांकि रूस के वो एथलीट इसमें हिस्सा ले सकते हैं जो ये साबित कर दें कि वो डोपिंग में शामिल नहीं हैं, लेकिन ऐसे खिलाड़ी रूस का झंडा इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे.

2014 में रूस ने सोचि में विंटर ओलंपिक की मेज़बानी की थी और उसी दौरान सरकार प्रायोजित डोपिंग की शिकायतें आई थीं, जिनकी जांच चल रही थी.आईओसी के अध्यक्ष थॉमस बाख़ और बोर्ड ने जांच रिपोर्ट और सुझावों को पढ़ने के बाद ये फ़ैसला दिया.

रूस के लगातार खंडन के बावजूद जांच में रूस के डोपिंग विरोधी क़ानूनों के साथ जानबूझ कर तोड़ने-मरोड़ने के सबूत पाए गए हैं. ये सारा मामला तब पता चला जब एक डॉक्टर ग्रिगोरी रोडशेंकोव ने सवाल उठाया. वो 2014 में सोचि में हुए विंटर ओलंपिक के दौरान रूस के एंटी डोपिंग प्रयोगशाला के निदेशक थे. उन्होंने आरोप लगाया कि रूस अपने खिलाड़ियों के डोपिंग के लिए एक व्यवस्थित कार्यक्रम चलाता है और दावा किया कि उन्होंने एक ऐसी दवा बनाई थी, जो एथलीट के प्रदर्शन को और बेहतर बनाने में मदद करती है और इसका पेशाब जांच में पता भी नहीं चल पाता.

विश्व एंटी डोपिंग एजेंसी (वाडा) ने कनाडा के क़ानून के प्रोफ़ेसर और वकील डॉ रिचर्ड मैकलॉरेन को इसकी जांच करने का जिम्मा सौंपा. मैकलारेन की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2012 से 2015 के बीच 30 खेलों में क़रीब 1000 एथलीटों को इस डोपिंग प्रोग्राम से फ़ायदा पहुंचा है.वाडा ने रूसी प्रयोगशाला के आंकड़े हासिल करने का दावा किया, जो मैकलॉरेन की रिपोर्ट से मेल खाते हैं. इसके बाद रूसी एथलीटों के नमूनों की दोबारा जांच हुई और खिलाड़ियों पर प्रतिबंध लगाए गए और मेडल वापस लिए गए.पिछले सप्ताह आईओसी के एक अन्य आयोग ने भी अपनी जांच रिपोर्ट सौंपी थी जिसमें डॉ रोडशेंकोव के दावों को सही पाया गया.