22 साल, 250 पेशियां 50 गवाही और बाकी हैं 48 गवाही

बाबरी मस्जिद को शहीद हुए 22 साल गुजर चुके हैं, पर इससे जुड़े मुजरिमाना मुकदमे मे अब भी फैसले का इंतजार है। भाजपा और विहिप लीडरों पर इल्ज़ाम तय होने के बाद तकरीबन 250 पेशियां पड़ चुकी हैं और 50 लोगों की गवाही पूरी हो चुकी है, जबकि 51वें गवाह से जिरह चल रही है।

अभी 48 लोगों की गवाही होनी बाकी है। 6 दिसंबर 1992 को मुतनाज़ा ढांचा ढहाने के मुजरिमाना मामले में भाजपा के सीनीयर लीडर व साबिक नायब पीएम लालकृष्ण आडवाणी, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, विनय कटियार, उमा भारती, विहिप नेता अशोक सिंघल, आचार्य गिरिराज किशोर (इंतेकाल हो गया है), विष्णुहरि डालमिया, साध्वी ऋतंभरा के खिलाफ रामजन्मभू्मि थाने में मुकदमा लिखाया गया था।

लेकिन 10 साल तक तीन जिलों में इसकी पत्रावली घूमती रही। दरअसल क्राइम नं0 198/92 की यह पत्रावली 1 मार्च 1993 को खुसूसी ललितपुर की अदालती मजिस्ट्रेट के पास सुनवाई के लिए भेजी गई थी।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 9 सितंबर 1993 को पत्रावली ललितपुर से रायबरेली भेजने का हुक्म दिया और अगले दिन यानी 10 सितंबर को पत्रावली रायबरेली आ गई। कुछ दिनो बाद ही 24 जनवरी 1994 को पत्रावली रायबरेली से स्पेशल जज (अयोध्या वाकिया) लखनऊ को ट्रांसफर कर दी गई।

तकरीब 10 साल बाद दोबारा 21 मार्च 2003 को पत्रावली फिर रायबरेली आई और खुसूसी अदालत में सुनवाई शुरू हुई।

रायबरेली की खुसूसी अदालत ने 19 सितंबर 2003 को लालकृष्ण आडवाणी को डिस्चार्ज़ कर बचे दिगर सात मुल्ज़िमों के खिलाफ चार्जशीट तय करने का हुक्म दिया।

इससे मजरूह डॉ. मुरली मनोहर जोशी समेत दिगर लोग इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेच पहुंच गए। हाईकोर्ट ने 6 जुलाई 2005 को डिस्चार्ज किए गए आडवाणी समेत आठों मुल्ज़िमो पर रायबरेली वाके कोर्ट में फिर मुकदमा चलाने का हुक्म दिया।
28 जुलाई 2005 को सभी आठ मुल्ज़िम खुसूसी अदालत में हाजिर हुए और उनके खिलाफ इल्ज़ाम तय किए गए।