रामलीला मैदान पर सांकेतिक अनशन के तीसरे और आखिरी दिन बाबा रामदेव ने अपने तेवर कड़े कर लिए हैं। रामदेव ने शनिवार को कहा कि अगर सरकार ने आज शाम तक उनकी तीन मांगों को नहीं माना, तो ‘महाक्रांति’ होगी।
रामदेव ने दावा किया कि उनको 225 सांसदों का समर्थन हासिल है। असम, आंध्र, गोवा, गुजरात आदि प्रदेशों के कांग्रेस सांसदों ने भी उन्हें लिखित में उनके मुद्दों पर समर्थन दिया है। रामदेव ने कहा कि वह राष्ट्रपति को जाकर ज्ञापन सौंपेंगे। रामदेव ने दूसरे राजनीतिक दलों से से भी चुप्पी तोड़ने और अपना रुख साफ करने को कहा।
रामदेव ने कहा कि 15 अगस्त पर तिरंगा फहराया जाने वाला है। अगर ईमानदार हाथों से देश का तिरंगा फहराया जाए तो देश का सम्मान बढ़ता है, लेकिन अगर गलत हाथ यह काम करते हैं तो देश का अपमान होता है।
उधर, सरकार बाबा रामदेव की मांगें माननी तो दूर, उन्हें भाव देती भी नहीं दिख रही है। रामदेव का सांकेतिक अनशन आज खत्म हो रहा है और वह कल अपनी अगली रणनीति का ऐलान कर वाले हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सस्पेंस यह है कि आखिर बाबा अब करेंगे क्या?
इससे पहले उन्होंने शुक्रवार शाम को ऐलान किया कि वह एक बड़े फैसले के बाद ही रामलीला मैदान छोड़ेंगे। रामदेव ने अपने भाषण में सीधे-सीधे कांग्रेस और यूपीए सरकार पर निशाना साधा। रामदेव ने कहा कि अब कांग्रेस और यूपीए को अपन अजेंडा क्लियर करना होगा।
योगगुरु बाबा रामदेव ने कहा है वह तब रामलीला मैदान तब तक नहीं छोड़ेंगे जब तक सरकार की ओर से ब्लैक मनी वापस लाने और मजबूत लोकपाल कानून के लिए कोई बड़ा फैसला नहीं आता।
उन्होंने शुक्रवार शाम को कहा था कि वह फिलहाल सरकार के किसी भी प्रतिनिधि से बातचीत नहीं कर रहे हैं और उनके दरवाजे हमेशा बातचीत के लिए खुले हैं। योगगुरु ने अपने संबोधन में कहा कि जब तक सरकार उनके उठाए मुद्दों पर अपना रुख साफ नहीं करती तब तक विरोध प्रदर्शन बंद नहीं होगा। उन्होंने कहा, ‘सरकार की ओर से किसी बड़े फैसले के बाद ही हम रामलीला मैदान छोड़ेंगे।’
रामदेव ने अनशन की शुरुआत करते हुए कहा कि ब्लैक मनी वापस लाने के साथ उनकी तीन प्रमुख मांगें हैं। ये मांगे हैं..
1-मजबूत लोकपाल बिल लाया जाए
2-सीबीआई को स्वतंत्र रखा जाए
3-निर्वाचन आयोग, कैग, सीवीसी और सीबीआई डायरेक्टर की नियुक्ति को और अधिक पारदर्शी बनाया जाए