आपने कभी ऐसे बच्चाों या किसी बडे इंसान को देखा है जो हमेशा पानी में रहता हो आप भी सोच रहें होंगे की भला ऐसा कौन कर सकता है ? लेकिन झारखंड में ऐसे दो बच्चे हैं जो हमेशा ही पानी के अंदर रहते हैं। ये बताया जाता है कि इनकी जिंदगानी पानी है। सोते, उठते, जागते, बस पानी-पानी। जैसे माही ( मछली) की ज़िंदगी । पानी से निकाला कि सांसें थमने लगती हैं।
दरअसल, माधो के दोनों बेटे रोहित सोय ( 5 साल) व मंगल सोय ( 3 साल) एक्टोडर्मल डिसप्लेसिया बीमारी से मुतास्सिर हैं। इनके जिस्म में पसीने को बाहर निकालने वाले Glands नहीं हैं। लिहाजा उनके जिस्म का Temperature ( हरारत) बहुत ज्यादा रहता है और वे पानी में रहना पसंद करते हैं।
पानी से नाता टूटा कि ज़िंदगी खत्म । फिलहाल दोनों का इलाज रांची वाकेय् राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में चल रहा है। अस्पताल ने बच्चों की बीमारी पर अलग से क्लास चलाने और रिसर्च करने का फैसला किया है।
रिम्स में इलाज कर रहे Department of infant disease के डॉ. ने बताया कि दोनों को एक्टोडर्मल डिसप्लेसिया बीमारी है। बताया जा रहा है कि यह एक Genetic Disease है व इसका इलाज मुम्किन नहीं है। यही वजह है कि इससे मुतास्सिर ज़्यादा दिनों तक ज़िंदा नहीं रहते हैं।
पूरी दुनिया में इस तरह के मरीजों की तादाद तकरीबन सात हजार है। फिलहाल रिम्स में ही इन दोनो का इलाज़ होगा और उनका स्कीन बायोप्सी के लिए जुमेरात को मुंबई भेजा जाएगा।
बच्चों की वालदा ने बताया कि उनका पहला बेटा रोहित पदाईश के बाद हमेशा रोता रहता था। लेकिन जिस्म पर पानी की बूंदें पडते ही चुप हो जाता था। पहले तो काफी दिनों तक समझ में नहीं आया। लेकिन धीरे-धीरे पता चला कि पानी के बिना रोहित को रहा नहीं जा रहा है।
दो साल बाद दूसरे बेटे मंगल की पैदाईश हुई। मंगल भी इसी तरह से रोने लगता। इसके बाद दोनों को पानी में रखने का फैसला लिया। इसके बाद से दोनों की सेहत दुरूस्त रहने लगी। अब दोनों बच्चे बडे होने लगे हैं, लेकिन उनके दो-दो दांत ही निकले हैं। दोनों पानी के बिना एक पल भी रह नहीं सकते हैं।
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