रांची/धनबाद: 25 हजार करोड़ से अधिक के चिटफंड घोटाले में सीबीआई ने बुध को देश के 82 ठिकानों पर एक साथ छापे मारे। धनबाद सीबीआई की अगुवाई में झारखंड के धनबाद, बोकारो, रांची, जमशेदपुर, रामगढ़, कोडरमा और देवघर के 34 ठिकानों पर धावा बोला गया। वहीं बिहार के कटिहार, नवादा,शेखपुरा, भभुआ, सुपौल समेत डेढ़ दर्जन ठिकानों पर रेड पड़ी। पूर्व एमएलए के ठिकानों से 45 लाख मिले.इसके अलावा बंगाल, ओडिशा और आंध्र प्रदेश में चिटफंड कंपनियों के सीएमडी, एमडी और डायरेक्टरों के आवासों और दफ्तरों पर दबिश दी गई। छापेमारी की मुख्य जद में दो कंपनियां रहीं। ये कंपनियां हैं-इमोनस इंडस्ट्री लिमिटेड और मेसर्स वेलफेयर बिल्डिंग एंड इस्टेट लिमिटेड। इमोनस के सीएमडी राहुल चौहान के निरसा की मंडमन कोलियरी स्थित आवास पर छापेमारी हुई। वहीं डायरेक्टर बीआर वातिया वीरवास के रांची स्थित आवास और दफ्तर को भी खंगाला गया। साथ ही आंध्र प्रदेश बेस्ड कंपनी मेसर्स वेलफेयर बिल्डिंग एंड इस्टेट लिमिटेड के एमडी मल्लाह प्रसाद के विशाखापट्टनम स्थित आवास और कार्यालय पर भी रेड डाली गई। मल्लाह विशाखापट्टनम के पूर्व एमएलए हैं। दोनों कंपनियां झारखंड से निवेशकों का पैसा बटोर भाग गई। छापेमारी में रांची, पटना, कोलकाता, विशाखापट्टनम और नई दिल्ली सीबीआई की मदद ली गई है।-विशाखापट्टनम के पूर्व एमएलए और वेलफेयर बिल्डिंग एंड इस्टेट लिमिटेड के
मैनेजिंग डायरेक्टर मल्लाह प्रसाद के आवास से सीबीआई को 44.90 लाख नकद मिले। वहीं एक अन्य कंपनी के डायरेक्टर के आवास 16.80 की राशि जब्त की गई। जिन कंपनियों के ठिकानों पर छापेमारी हुई, वहां से सीबीआई ने केस से
जुड़े दस्तावेज, कंपनी के कागजात, बांड पेपर,मुहर, डिजिटल सिग्नेचर, रुपए निकासी और जमा करने की पर्ची समेत अन्य चीजें जब्त की।
निवेशकों की गाढ़ी कमाई लेकर चंपत होने वाली नन बैंकिंग कंपनियों के खिलाफ हाईकोर्ट ने 18 नवंबर 2015 को सीबीआई जांच का आदेश दिया था। इसके बाद सीबीआई ने 27 कंपनियों के खिलाफ पहली एफआईआर दर्ज की थी। जिन कंपनियों पर केस हुआ, उनमें धनबाद समेत झारखंड में ऊंचे ब्याज का
लालच देकर पैसा लेकर भागने वाली दो दर्जन कंपनियां शामिल थीं। बाद में एक अन्य एफआईआर कर छह अन्य कंपनियों को भी आरोपी बनाया। वहीं
कुछ अन्य कंपनियों की जांच सीआईडी कर रही है।