मुंबई: मुंबई के साजिद मकवाना के पिता हसन बीते 23 साल से जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे थे. इस दौरान वो कभी पैरोल पर भी जेल से बाहर नहीं आए. इसलिए हसन और उनके बेटे साजिद मकवाना में कोई मुलाकात नहीं हो पाई.
23 साल बाद जब हसन की सजा पूरी हो गई है और वो कोलाबा सेंट्रल जेल से बाहर आए तो उसकी खुशी का ठिकाना न रहा. साजिद की ख़ुशी ने ही उसकी जान ले ली.
अमर उजाला के अनुसार, जेल सुप्रिडेंट शरद शेल्के ने बताया कि 64 वर्षीय हसन जेल से दोपहर में बाहर आए तो उसने सबसे पहले जेल को सैल्यूट किया और फिर अपने परिवारजनों से मिलने चला गया, जोकि सड़क के दूसरी तरफ खड़े थे.
साजिद अपने पिता से मिलने के लिए बेताब था, उसकी खुशी रोके नहीं रुक रही थी. हसन से मिलने के बाद वो उनसे बात करने लगा तभी उसके सीने में दर्द होने लगा. इससे पहले साजिद किसी को कुछ बताता वो सड़क पर गिर गया.
साजिद के परिवार के बाकी लोग जल्दी से उसे नजदीकी अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया. डॉक्टर ने बताया कि साजिद अपने पिता से मिलने की खुशी को बर्दाश्त नहीं कर पाया जिससे उसे दिल का दौरा पड़ गया.
साजिद की योजना जल्द ही शादी करने की थी. साजिद ने सोचा था कि शादी के वक्त उसके पिता भी मौजूद होंगे लेकिन साजिद की यह इच्छा अधूरी रह गई. साजिद मुंबई के अंधेरी में एक मोटर ड्राइविंग स्कूल चलाता था.
आप को बता दें कि साजिद के पिता हसन का एक युवक से झगड़ा हुआ था, झगड़े में उस युवक की मौत हो गई. मामला कोर्ट में पहुंचा, कोर्ट ने 1996 में फैसला सुनाते हुए हसन को उम्र कैद की सजा दी और उसे यरवदा जेल भेज दिया गया. बाद में हसन को कोलाबा जेल स्थानतरित कर दिया गया जहां वो बीते 23 साल से अपनी सजा काट रहा था.