27 लाख रुपये खजाने में वापिस लौटाए अजीत पवार ने

लगता है सियासतदान अब सरकारी ख़जाने केे निजी इस्तेमाल से डर रहे हैं कि कहीं इल्जामात के चहते कुर्सी छूट न जाए।

महाराष्ट्र के नायब वज़ीरे आला अजित पवार ने अपने सरकारी बंगले के रंगरोगन पर हुए ‘ बेहिसाब खर्च’ की जिम्मेदारी क़बूल की है। उन्होंने इसमें से 27 लाख रुपये की रकम चेक से सरकार के पीडब्ल्यूडी डिपार्टमेंट को वापस लौटा दी। एक साल के भीतर अजित पवार के ‘देवगिरी’ बंगले के रंगरोगन पर 37 लाख 98 हजार रुपये खर्च होने की जानकारी आरटीआई के तहत उजागर हुई है।

दिल्ली में आम आदमी पार्टी के मिनिस्टरों ने सरकारी बंगलों में न रहने की नई मिसाल अवाम के सामने रखी है। मिनिस्टरों ने सरकारी कारों की बजाए मेट्रो ट्रेन से सफर करने की मिसाल भी पेश की है। ऐसे में महाराष्ट्र के मिनिस्टरों के सरकारी बंगलों पर हुए खर्च और उनके भारी-भरकम फ्लाइट के खर्चों को लेकर सवाल उठना लाजमी है।

सियासी हलकों में सवाल पूछे जा रहे हैं कि वज़ीरे आला और कैबिनेट के दूसरे वज़ीर भी इसी तरह की पहल करते हुए सरकारी तिजोरी में पैसे वापस करेंगे? वैसे अजितदादा ने यह कहा है कि इतना बड़ा खर्च करने से पहले पीडब्ल्यूडी डिपार्टमेंट ने उनसे सलाह नहीं ली थी। पीडब्ल्यूडी डिपार्टमेंट ही मिनिस्टरों के बंगलों की मरम्मत और रखरखाव का काम संभालता है। इस खर्चों के लिए पहले से बदनाम पीडब्ल्यूडी डिपार्टमेंट के अफसरों से पैसे क्यों न वसूले जाएं, यह सवाल भी उठना लाजमी है?