29 रुपये पेट्रोल खरीद पर 48 रुपये टैक्स लेती है सरकार

मुंबई। एक मीडिया फर्म में काम करने वाली शेरोन फुर्ताडो और उनकी तीन दोस्त रोजाना कार पूल करके मुंबई के बोरीवली से परेल अपने ऑफिस जाती हैं। शनिवार को पेट्रोल की कीमतों में हुई बढ़ोतरी के बाद उनके हर महीने के ट्रैवल बिल में कम से कम 120-120 रुपये बढ़ जाएंगे।

 

 

 

 

वे अब प्रति लीटर की कीमत में टैक्स में 153% का भुगतान कर रही हैं, जिस कीमत पर रिफाइनरीज द्वारा तेल कंपनियों को पेट्रोल बेचा जाता है। इस जानकारी ने शेरोन को परेशान कर दिया। आज की कच्चे तेल की कीमत और डॉलर-रुपया विनिमय दर को देखें तो कंपनियों द्वारा आपूर्ति किए गए पेट्रोल की कीमत 29.54 रुपये है जिसमें मार्केटिंग चार्ज भी शामिल है।

 

 

 

 

लेकिन मुंबई में ड्यूटी और सेस की वजह से उपभोक्ता को 77.50 रुपये प्रति लीटर का भुगतान करना पड़ रहा है। उपभोक्ता यहां 47.96 रुपये प्रति लीटर टैक्स और ड्यूटी के देते हैं। इसमें सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी, स्टेट वैट, चुंगी, सेस और पेट्रोल पंप मालिकों का कमीशन भी शामिल है।

 

 

 

 

एक वरिष्ठ अर्थशास्त्री ने बताया कि पेट्रोल पर सेस बढ़ाकर सरकार अपनी आमदनी बढ़ाना चाहती है। इसके ऋण का स्तर 4.13 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है, यह एक ऐसे स्तर तक पहुंच गया जिससे अतिरिक्त व्यय के फंड के लिए और उधार नहीं लिया जा सकता है। इस दायरे में माल पर एक्स्ट्रा ड्यूटी और टैक्स (जीएसटी जल्द ही इसके विस्तार को कम कर देगा) एकमात्र विकल्प है।

 

 

 

 

पेट्रोल पर 3 रुपये बढ़ाए जाने के असर पर लोगों की राय अलग-अलग हैं। कुछ लोगों का कहना है कि इसका असर सीधे आपके घर पहुंचने वाले सामान और सेवाओं पर पड़ेगा। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि आज के माहौल में पेट्रोल के दाम में बढ़ोतरी से मुद्रास्फीति पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा क्योंकि यह मालवाहक और ट्रांसपोर्टरों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला ईंधन नहीं है।

 

 

 

 

 

ट्रांसपोर्ट एक्सपर्ट अशोक दातार का कहना है कि पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि एक स्वागतयोग्य कदम हो सकता है क्योंकि इससे निजी वाहनों के उपयोग में कमी आएगी। दातार का कहना है कि वह निजी वाहनों के प्रयोग को कम करना चाहता है और इससे मिलने वाले अतिरिक्त पैसे के पब्लिक ट्रांसपोर्ट में इस्तेमाल करना चाहता है। इससे रोजाना कार पूल करने वालों पर भी प्रभाव पड़ेगा।