वज़ीर फैनान्स पी चिदम़्बरम को आज ज़बरदस्त राहत हासिल हुई, जब 2G असपकटरम एस्काम के मुक़द्दमा में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें तमाम मंसूबा इल्ज़ामात से बरी करदिया और जनता पार्टी के सदर सुब्रामणियम को धक्का लगा, जिन्हों ने इन को इस मुक़द्दमा मैं मुल्ज़िम बनाने की कोशिश की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने इस फ़ैसला में जो दुशवार गुज़ार वक़्त में हुकूमत के लिए भी राहत का सबब बना है, कहा कि मिस्टर चिदम़्बरम के ख़िलाफ़ सी बी आई तहक़ीक़ात की दरख़ास्त को भी मुस्तर्द करदिया और कहा कि ऐसा कोई सबूत या मवाद दस्तयाब नहीं हुआ है,
जिस की बुनियाद पर ये कहा जा सकता है कि उन्हों (चिदम़्बरम) ने बहैसीयत वज़ीर फैनान्स अपने ओहदा का ग़लत इस्तिमाल किया था।
फ़ैसला में कहा गया है के ना ही उन्हों (चिदम़्बरम) ने साबिक़ वज़ीर टेलीकॉम ए राजा को फ़ायदा पहुंचाने के लिए उन से कोई साज़बाज़ की और ना ही उन्हों ने ख़ुद को या किसी दूसरे शख़्स को कोई फ़ायदा पहूँचा या है।
कांग्रेस पार्टी और कई वुज़रा ने इस फ़ैसला की सताइश करते हुए कहा कि इस से मिस्टर चिदम़्बरम और हुकूमत के मौक़िफ़ की तौसीक़ (पुष्टि) होगई है, लेकिन अप्पोज़ीशन जमातों ने कहा है के इस फ़ैसले के बावजूद भी मर्कज़ी हुकूमत 2G एस्काम में सयासी और अख़लाक़ी तौर पर बदस्तूर जवाबदेह रहेगी।
इस बंच ने मिस्टर चिदम़्बरम को असपकटर तख़सीसात और क़ीमत के ताय्युन में मुजरिमाना साज़िश के इल्ज़ामात से बरी करदिया है। ताहम बंच ने इस तास्सुर का इज़हार भी किया कि नाक़िस इंतिज़ामीया और ग़ैर दरुस्त फ़ैसला को बज़ात-ए-ख़ुद मुजरिमाना साज़िश की पैदावार नहीं कहा जा सकता।
डाक्टर सुब्रामणियम स्वामी और एक ग़ैर सरकारी तंज़ीम (एन जी ओ) की तरफ़ से मफ़ाद-ए-आम्मा के तहत दायर करदा एक दरख़ास्त पर अदालत ने ये अहकाम जारी किए हैं।
इस तरह अदालत-ए-उज़्मा के इस फ़ैसला ने 4 फरवरी को सी बी आई अदालत के जज ओ बी सावनी सादिर करदा फ़ैसला पर तौसीक़ (पुष्टि) की महर सबत करदी(लगा दी)है। जस्टिस में कहा गया था कि मिस्टर चिदम़्बरम ने ए राजा से कोई मुजरिमाना साज़बाज़ नहीं की थी।
उन्हों ने (मिस्टर चिदम़्बरम) ने ना तो किसी दूसरे या ख़ुद को इस मुआमला में कोई फ़ायदा पहूँचा या था। सुप्रीम कोर्ट बंच ने कहा कि चुनांचे हमें 4 फरवरी को सी बी आई अदालत की तरफ़ से जारी करदा फ़ैसला में दख़ल अंदाज़ी करने की कोई ज़रूरत नहीं है।