2G पर सुप्रीम कोर्ट की रोलिंग

2G स्क़ाम का भूत मर्कज़ की कांग्रेस ज़ेर क़ियादत यू पी ए हुकूमत का मुसलसल तआक़ुब करता जा रहा है । वक़फ़ा वक़फ़ा से इस स्क़ाम के मसला पर हुकूमत को ख़िफ़्फ़त का सामना करना पड़ रहा है और आज अदालत ने एक अहम रोलिंग देते हुए यू पी ए दौर-ए-हकूमत में जारी किए गए जिस वक़्त ए राजा वज़ीर टेलीकॉम थे 122 लाईसैंस मंसूख़ कर दिए जो मुख़्तलिफ़ कंपनियों को अलॉट किए गए थे ।

इलावा अज़ीं सुप्रीम कोर्ट ने अपनी रोलिंग में टेलीकॉम रैगूलेटरी अथॉरीटी को हिदायत दी है कि वो इन लाईसैंसों की दुबारा इजराई के लिए मुरव्वजा तरीका कार के मुताबिक़ नई कार्रवाई करे । सुप्रीम कोर्ट का रिमार्क थे उन कंपनियों को जो लाईसैंस जारी किए गए थे उन का तरीका कार ग़ैर मुनासिब और ग़ैर दस्तूरी था इसलिए उन को मंसूख़ किया जाता है । जस्टिस जी एस सिंघवी और जस्टिस ए के गंगोली पर मुश्तमिल एक बंच ने ये रोलिंग दी जिस के नतीजा में हुकूमत के लिए मुश्किलात पैदा होगई हैं।

हालाँकि सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में मिस्टर पी चिदम़्बरम के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने और तहकीकात का हुक्म देने से गुरेज़ किया है ताहम अदालत ने ट्रायल अदालत को ये इख़तेयार दे दिया है कि वो इस ताल्लुक़ से कोई मुनासिब फैसला करे । अब मिस्टर पी चिदम़्बरम के ख़िलाफ़ तहकीकात के ताल्लुक़ से कोई भी फैसला जस्टिस ओ पी साईनी की अदालत की जानिब से किया जाएगा।

इस तरह ये कहा जा सकता है कि जहां एक तरफ़ तो हुकूमत को टेलीकॉम कंपनियों के लाईसैंस मंसूख़ कर दिए गए हैं वहीं मिस्टर पी चिदम़्बरम के सर पर क़ानून की तलवार लटकी ही रहने दे और उन के ख़िलाफ़ तहकीकात के इमकान को अदालत ने मुस्तर्द नहीं किया है । ये हुकूमत केलिए दोहरी मुश्किल कही जा सकती है । हुकूमत ने इस फैसला पर फ़ौरी तौर पर किसी रद्द-ए-अमल के इज़हार से गुरेज़ किया है । मर्कज़ी वज़ीर फाइनेन्स मिस्टर परनब मुकर्जी ने हुकूमत के रद्द-ए-अमल में कहा कि अदालत का फैसला अभी आया है ।

हुकूमत को इस फैसला की तफ़सीलात और इस के असरात का जायज़ा लेना है और ऐसा करने के बाद ही हुकूमत अपने रद्द-ए-अमल का इज़हार करेगी । हुकूमत भले ही किसी भी रद्द-ए-अमल का इज़हार करे लेकिन ये ज़रूर कहा जा सकता है कि अदालत का फैसला हुकूमत के लिए मुश्किलात में इज़ाफ़ा का बाइस ही बनेगा और साथ ही ये उम्मीद भी पैदा होगई है कि 2G स्पेक्ट्रम के अलाटमैंट में जो बे क़ाईदगीयाँ हुई हैं वो भी अब बेनकाब होकर रहेंगी और किसी मुल्ज़िम को बचने का मौक़ा नहीं मिल सकेगा ।

अदालत ने टेलीकॉम रैगूलेटरी अथॉरीटी को हिदायत दी है कि वो मंसूख़ कर्दा लाईसैंसों की दुबारा इजराई का अमल अज़ सर न पूरा करे और क़वानीन का लिहाज़ किया जाये । इस तरह अब ये बात यक़ीन से कही जा सकती है कि टेलीकॉम कंपनियों को अब इन लाईसेंसों की इजराई के लिए इज़ाफ़ी रक़ूमात अदा करनी होंगी और फिर मोबाईल काल चार्जस में इज़ाफ़ा के इमकानात को भी मुस्तर्द नहीं किया जा सकता ।

टेलीकॉम रैगूलेटरी अथॉरीटी का कहना है कि उसे अभी अदालत के फैसले का तफ़सीली जायज़ा लेना है और इस के बाद ही ये कहा जा सकता है कि इस फैसला के मोबाईल फ़ोन सारफ़ीन पर क्या असरात मुरत्तिब हो सकते हैं। ट्रॉय (TRAI) के बमूजब इस फैसला के नतीजा में ज़्यादा से ज़्यादा 5 फीसद सारफ़ीन पर ही कुछ असरात मुरत्तिब हो सकते हैं।

अदालत ने मिस्टर चिदम़्बरम को भी मुक़द्दमा का शरीक मुल्ज़िम क़रार देने के ताल्लुक़ से फैसला जस्टिस ओ पी साईनी की अदालत पर छोड़ दिया है और इमकान है कि ट्रायल अदालत में इस ताल्लुक़ से हफ़्ता को कोई फैसला किया जा सकता है । अदालत ने इस केस की तहकीकात करने वाली सी बी आई की निगरानी केलिए एक ख़ुसूसी तहक़ीक़ाती टीम की तसशकेल से इनकार कर दिया और कहा कि फ़िलहाल उस की कोई ज़रूरत नहीं है ।

अदालत ने कहा कि जिस तरह से 2G स्पेक्ट्रम लाईसेंस जारी किए गए वो गैरकानूनी और गैर दस्तूरी तरीका कार था और इस से मुल्क के मुफ़ादात को ठेस पहूँची है । अदालत के इस फैसले के बाद यक़ीनी तौर पर हुकूमत को इस के सयासी नुक़्सानात का भी सामना करना पड़ेगा और बी जे पी और दीगर अपोज़ीशन जमाअतें करप्शन के मसला पर हुकूमत को निशाना बनाने से गुरेज़ नहीं करेंगी । बी जे पी और दीगर जमाअतें हुकूमत के ख़िलाफ़ अपनी मुहिम में मज़ीद शिद्दत पैदा करेंगी ।

इस फैसले के नतीजा में उत्तर प्रदेश और दीगर रियासतों में जहां इंतेख़ाबात हो रहे हैं कांग्रेस की इंतेख़ाबी मुहिम पर भी असर पड़ने के इमकानात को मुस्तर्द नहीं किया जा सकता। हुकूमत हालाँकि इन असरात को कम करने की हर मुम्किना कोशिश करेगी लेकिन अदालत के फैसले और इस के असरात से बचना हुकूमत केलिए मुम्किन नहीं होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने आज अपनी रोलिंग में एक तरह से हुकूमत की सरज़निश की है । सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि वज़ीर ए आज़म डाक्टर मनमोहन सिंह और वज़ीर दाख़िला मिस्टर पी चिदम़्बरम ( जो उस वक़्त वज़ीर फाइनेन्स थे ) मुल्क को इस स्क़ाम की वजह से हुए नुक़्सान से बचाने में कामयाब नहीं हो सके । डाक्टर सिंह और मिस्टर चिदम़्बरम अक्सर-ओ-बेशतर ख़ुद को मिस्टर राजा की जानिब से किए गए इक़दामात से अलग थलग करने की कोशिश करते हैं लेकिन बहैसियत वज़ीर आज़म डाक्टर सिंह पर हर वज़ीर के इक़दामात की ज़िम्मेदारी भी आइद होती है और वो ख़ुद को इस ज़िम्मेदारी से बचा नहीं सकते ।

इस सिलसिला में अब वज़ीर आज़म डाक्टर मनमोहन सिंह को और सदर कांग्रेस सोनिया गांधी को अदालत के फैसले के बाद मुल्क के अवाम के सामने जवाब देना होगा और ये वज़ाहत भी करनी होगी कि वज़ीर आज़म अपनी ज़िम्मेदारी क्यों पूरी नहीं कर सके ।