3 बेटों की मौत मांगने पहुँचा मजबूर बाप

नई दिल्ली, 30 मई: असम के अब्दुल रहीम के लिए यह आसान ना था कि वह अपने ही जान से प्यारे बच्चों की मौत मांगने अदालत जाते। लेकिन वह इतना टूट चुके हैं कि आखिरकार उन्हें ऐसा करना पड़ा।

रहीम ने अदालत से अपील की है कि खून की बीमारी थैलेसेमिया से जूझ रहे उनके तीन बच्चों को अपनी मर्जी या मर्सी किलिंग की इजाजत दी जाय।

16 साल से अपने तीनों बेटों; सादिक (16 साल), सुहेल (14 साल) और मुहम्मद शमीम (9 साल) का इलाज कराते-कराते वह अपना सब कुछ गंवा चुके हैं।

35 साल पहले वह असम के नागौन जिले से मेघालय जूते का बिजनेस करने गए थे। शिलांग में उनके जूते की फैक्ट्री थी लेकिन बच्चों के इलाज का पैसा जुटाने के लिए उन्होंने अपना सब कुछ फरोख्त (बेच) कर दिया।

रहीम के बेटों को थैलेसेमिया नाम की बीमारी है जिसमें खून में Red blood cells कमजोर और खत्म होने लगती हैं।

डॉक्टर ने रहीम को कहा कि उनके बच्चों का इलाज क्रिस्चियन मेडिकल कॉलेज वेल्लोर में हो सकता है जहां हर बच्चे पर 35 लाख का खर्च आएगा तभी वे ज्यादा दिनों तक जिंदा रह पाएंगे।

इसके अलावा ब्लड ट्रांसफ्यूजन का है जिसके बारे में रहीम का कहना है कि उनके पास हर महीने 45,000 रुपये खर्च करने के लिए पैसे नहीं हैं।

इसलिए मजबूर होकर वे अदालत की पनाह में अपने बच्चों की मर्सी किलिंग की इजाजत मांगने गए हैं ताकि इलाज़ की कमी में उनको मरने से पहले मुसीबत न झेलनी पड़े।

असम थैलेसेमिया सोसायटी ने कुछ वक्त तक रहीम की बच्चों के इलाज के लिए माली मदद दी थी लेकिन अब वह भी बंद हो गई है।

उन्होंने अपने बेटों का आयुर्वेदिक, तिब्बती और दूसरे तरीके का ट्रीटमेंट कराया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।