30साल बाद मुस्लिम नौजवान की माँ और बहन से मुलाक़ात

मुंबई: अहमदनगर में एक गैर सरकारी संगठन CORO से जुड़े कार्यक्रम आर्डीनेटर मुमताज़ शेख़ को टेलीफ़ोन पर सूचना मिलने पर ख़ुशी की इंतेहा ना रही कि उनका भाई रफीक 29 साल बाद मुलाक़ात के लिए वाशी नाका चमबोर में स्थित उनके मकान आ रहा है जबकि दोनों भाई और बहन 30 साल पहले अलग हो गए थे.बीबीबीसी ने पिछले साल दुनिया भर से प्रभावशाली 100 महिलाओं का चयन किया था जिसमें मुमताज़ शेख भी शामिल थी, ये मेहमान की मां मदीना टेलीफोन पर अपने लापता बेटे इत्तेला की सूचना दी तो मुमताज़ शेख की आँखों से खुशी के आँसू जारी हो गए और मां से पूछा कि कैसे अपने बेटे की पुष्टि कर सकते हैं जिस पर उन्होंने बताया कि अपने बेटे की पहचान उसके सिर पर ऑपरेशन के निशान से कर सकती हैं क्योंकि 8 महीने की उम्र में ही रफीक दिमाग का ऑपरेशन किया गया था।

मुमताज़ के माता पिता ने 1978 में शादी की थी। उनके पिता अबू मलियाली और मां मराहठी बात करते थे। 1983 में बच्चा पैदा होने के बाद चमबोर चले गए लेकिन मुमताज़ के पिता अपने 8 वर्षीय लड़के रफीक को केरल में अपने माता-पिता के पास छोड़ कर दुबई रवाना हुए। बाद में उन्होंने दूसरी शादी कर ली लेकिन मुमताज़‌ अपने भाई को देखने में असमर्थ रहीं क्योंकि वह मलियाली बात कर सकती थी न समझ सकती थी।

मोहम्मद रफीक का भी यही हाल था जिसने अपनी मां और बहन की तलाश शुरू कर दी। जिसके दौरान उनके एक पड़ोसी महिला से मुलाकात हुई जो कि उनके लिए एक दूत साबित हुई। यह महिला खाड़ी में काम करती थी और रफीक ने भी कुवैत में नौकरी हासिल कर ली थी और उस महिला के मार्गदर्शन में रफीक ने इस क्षेत्र में छान मारी जहां 1980 के दस दिनों में रफीक परिवार आधारित था। अंततः उसकी माँ का पता ढूंढ निकाला। रफीक ने कहा कि यह महिला हमारी कहानी में एक सीआईडी ​​अधिकारी की तरह है और संभव है कि एक न एक दिन उनकी इस कहानी पर फिल्म बनाई जाएगी।