जानकारों के मुताबिक पिछले साल नवम्बर में चलन से बाहर किये गए नोटों के लगभग 97% नोट वापस बैंकों में आ गए हैं। इससे नरेंद्र मोदी के काले धन और भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए उठाये गए नोटबंदी के कदम को करारा झटका लगा है।
नाम न छपने की शर्त पर कुछ कर्मचारियों ने बताया कि बंद हुए नोटों को लौटाने की आखिरी तिथि, 30 दिसम्बर तक 14.97 लाख करोड़ रूपये की राशि बैंकों में आ चुकी है। सरकार ने 9 नवम्बर को नोटबंदी की घोषणा के बाद शुरुआत में यह अनुमान लगाया था कि 15.40 लाख करोड़ रूपये की मुद्रा जो 500 और 1000 रूपये के नोटों में प्रचलित थी उसमें से लगभग 5 लाख करोड़ रूपये स्थानीय काला धन है। जिसे कर चोरी और अन्य गैरकानूनी तरीकों से कमा कर काला धन बनाया गया है।
पीएम मोदी नोटबंदी के अपने फैसले की मदद से अपने प्रशासन को भ्रष्टाचार के खिलाफ दिखा कर आगामी राज्य विधानसभा चुनावों से पहले अपनी लोकप्रियता को और ज़्यादा बढ़ाना चाहते थे लेकिन लगभग पूरी राशि के सत्यापन से उनके मंसूबों पर पानी फिर गया है। कथित रूप भ्रष्टाचार विरोधी इस कदम से भले ही भ्रष्टाचार पर कोई बड़ा प्रभाव न पड़ा हो लेकिन देश की अर्थव्यवस्था और आमजन के जीवन पर इसके दुष्प्रभाव साफ़ तौर पर ज़ाहिर हैं।
“प्रधानमंत्री को सही सलाह नहीं दी गयी थी और सरकार भी इससे उत्त्पन्न स्तिथियों से निपटने के लिए तैयार नहीं थी, ” नीलकण्ठ रथ, इंडियन स्कूल ऑफ़ पोलिटिकल इकॉनमी में आनरेरी फेलो ने कहा। “इस फैसले से सरकार की आशाएं पूरी तरह फ़ैल हो गयी।”
पिछले हफ्ते में प्रकाशित निजी संकेतों से आशंका जताई जा रही है कि इस फैसले से देश की अर्थव्यवस्था को 2 लाख करोड़ रूपये का नुक्सान होगा और निरंतर मंदी के हालात की वजह से दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक भारत की स्तिथि को भी नुक्सान पहुंचेगा। एक रिपोर्ट के मुताबिक निक्की इंडिया सर्विसेज परचेजिंग इंडेक्स लगातार दूसरे महीने सिकुड़ा है।
मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया है कि बैंकों ने इस दौरान आठ लाख करोड़ रूपये की नकदी वितरित की है। जमा नोटों के आंकड़े अंतिम नहीं हैं और बदल सकते हैं, उन्होंने बताया।
200 मिलियन निवासियों वाला राज्य उत्तर प्रदेश, राज्यसभा में सर्वाधिक सदस्य भेजता है। वहां 11 फरवरी और 8 मार्च के बीच सात चरणों में मतदान होगा, मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने बुधवार को बताया। पंजाब और तीन अन्य राज्यों में भी स्थानीय सरकार का चयन करने के लिए इस अवधि के दौरान मतदान करेंगे। सभी परिणाम मार्च 11 को घोषित किया जाएगा।
हालाँकि इस फैसले से मोदी की साख कमज़ोर ज़रूर हुयी है और साथ ही देश की अर्थव्यवस्था पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ा है। लेकिन जनता में अभी भी उनके लिए समर्थन बाकि है। लोग अभी भी कतारों में लगे हुए हैं और उम्मीद लगाये बैठे हैं कि इस फैसले के कुछ सकारात्मक परिणाम भी आएंगे।