हैदराबाद 4 मार्च – मुसलमानों के लिए सब से बड़ी दौलत ईमान होता है वो हाथ फैलाता है तो अपने रब के आगे सजदा रेज़ होता है तो अपने रब के हुज़ूर सब से ज़्यादा मुहब्बत रखता है तो अपने प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से।
मुसलमान का ये ईमान होता है कि हयात और मौत, नफ़ा और नुक़्सान, बीमारी और शिफ़ा, ख़ुशी और ग़म, दौलत और शोहरत, इज़्ज़त और ताक़त ग़र्ज़ हर हर चीज़ का देने वाला उल्लाह ही है और ख़ालिक़े कायनात के हुक्म के बगै़र पत्ता भी नहीं हिल सकता।
लेकिन अफ़सोस कि आज ख़ुद साख्ता आमिलों, बाबाओं, जादूगरों और झाड़-फूंक करने वालों ने अपना ऐसा शैतानी जाल फैला दिया है कि इस में गुमराह मुस्लिम ख़वातीन फंस रही हैं। इस तरह वो ईमान पर डाका डालने वालों को मौक़ा दे रही हैं।
क़ारईन आज हम ने उसमान शाही स्टेट सेंट्रल लाइब्रेरी अफ़ज़ल गंज के क़रीब जो देखा उसे कलमबंद करते हुए हाथ काँप रहे हैं और ऐसा लगता है कि हमारा क़लम हम से सवाल कर रहा है कि मुसलमान भी ऐसा कर सकते हैं?
लाइब्रेरी से कुछ क़दम दूर एक झोंपड़ी है जहां चन्दूलाल नामी एक पुजारी और इस के दो जवान बेटे झाड़-फूंक के ज़रीए नव मौलूद से लेकर एक साल उम्र के हामिल बच्चों को लाहक़ हर बीमारी के ईलाज का दावा करते हैं।
कल शाम मुसलमानों की हालते ज़ार चंद मुस्लिम ख़वातीन का ख़ुद साख्ता बाबाओं, आमिलों और जादूगरों की चक्कर में फंस जाने पर फ़िक्रमंद एक फ़ैमिली ने हम से मुलाक़ात करके ऐसे वाक़ियात मंज़रे आम पर लाए कि हमारा वजूद काँप कर रह गया।
इस फ़ैमिली की तड़प को देखते हुए हम अफ़ज़ल गंज पर चन्दूलाल की झोंपड़ी पहूंच गए जहां कम अज़ कम 200 ख़वातीन बच्चों को गोद में लिए अपनी बारी का इंतिज़ार कर रही थी। हम ने इन दो सौ ख़वातीन का बग़ौर जायज़ा लिया और बाज़ाब्ता तौर पर उन की गिनती भी की जिस पर पता चला कि इन दो सौ ख़वातीन में 180 बुर्क़ापोश ख़वातीन थीं ।
हम ने देखा कि चन्दूलाल कुछ मंत्र पढ़ता और पानी पर फूंकता और इस उबलते पानी से चन्दूलाल के बेटे बच्चों को नहलाते। माँ की गोद में लिपटे इन बच्चों को ज़बान आती तो यक़ीनन वो इस ज़ालिमाना हरकत के लिए अपनी माओं को माफ़ नहीं करते।
इस शैतानी ईलाज के लिए अपने ईमान का सौदा करने वाली ख़वातीन को ये ख़ुद साख्ता बाबा एक पान चबाने देता। चन्दूलाल का कहना है कि इस पान में कुछ जुड़ी बूटी होती माएं इन पानों को अच्छी तरह चबा कर अपने बच्चों को पीठ पर थूकती जिस के साथ ही चन्दूलाल के बेटे बच्चों पर से एक नारीयल वार कर उसे किसी माता के नाम से फोड़ते और फिर ज़ालिमाना अंदाज़ में बच्चों के जिस्म पर गर्म-गर्म पानी उंडेला जाता।
हम ने देखा कि माहौल बच्चों की चीख़ों से गूंज उठा था जबकि उन के गोद में लिए बच्चों को पानी नहलाने के बहाने नौजवान ख़वातीन के साथ अजीब और ग़रीब हरकात करते जा रहे थे। उनके हाथ ख़वातीन के आज़ा को छू रहे थे इस के बावजूद ये बेशर्म दीन और ईमान का सौदा करने वाली ख़वातीन बड़ी ढिटाई से बच्चों के ईलाज के नाम पर हर किस्म की बुराईयों को कर रही थीं।
हम ने जब कुछ ख़वातीन से बात की और उन इबरतनाक मनाज़िर को कैमरा में क़ैद करना शुरू किया तब चन्दूलाल इस के बेटों,मुलाज़िम ख़वातीन और ईलाज के लिए आई औरतों ने हमें इस राज़ को फ़ाश करने से रोकने की कोशिश की एक मरहला ऐसा भी आया जब चन्दूलाल ने हाथ जोड़ कर इल्तिजा की कि इन तसावीर और ख़बर को टी वी पर नशर और अख़बार में शाय ना किया जाए।
अब मुआशरा बिलुख़सूस उल्मा की ज़िम्मेदारी बनती है कि वो इस ख़तरनाक बीमारी में मुबतला होने से मुस्लिम ख़वातीन को बचाएं।(अबू ऐमल)