32 हज़ार करोड़ रुपये मुआवज़ा के लिए वक़्फ़ बोर्ड का दावा

तेलंगाना वक़्फ़ बोर्ड की जानिब से शहर में गच्ची बाउली और मनी कोन्डा इलाक़ों में मुख़्तलिफ़ कॉर्पोरेट्स को अलॉट की गई जायदादों के लिए 32 हज़ार करोड़ रुपये मुआवज़ा का दावा किया जा रहा है।

तेलुगु देशम पार्टी और कांग्रेस के दौरे हुकूमत में उस वक़्त की ए पी हुकूमतों ने दरगाह हज़रत हुसैन शाह वली (रह) की 1630 एकड़ अराज़ी में से ज़मीन के बड़े हिस्सों को मुख़्तलिफ़ पार्टीयों को अलाटमैंट और हर्राज के ज़रीए अलॉट किया गया था।

मनी कोन्डा और गच्ची बाउली में वाक़े दरगाह की वक़्फ़ आराज़ीयात को ईमार, लैन्को हिल्ज़, माईक्रो साफ़्ट, इंफोसिस, विप्रो, वी जी आई एल, पोलारेस और दीगर कॉरपोरेट कंपनीयों को अलॉट किया गया। ये अलाटमैंट वक़्फ़ ट्रब्यूनल के हुक्म इमतिना के बावजूद किया गया जिस ने बाद में कहा कि ये अराज़ी दरगाह की है।

ट्रब्यूनल के हुक्म को आंध्र प्रदेश हाइकोर्ट ने अप्रैल 2012 में बरक़रार रखते हुए लैंको हिल्ज़ टेक्नोलॉजी पार्क प्राईवेट लिमेटेड और दूसरों की जानिब से दाख़िल की गई सिविल डीवीज़न दरख़ास्त को मुस्तरद कर दिया था।

दरगाह हज़रत हुसैन शाह वली (रह) के तहत आराज़ीयात में से साबिक़ तेलुगु देशम और कांग्रेस हुकूमतों की जानिब से ईमार को 400 एकड़ लैन्को हिल्ज़ को 108 एकड़ माईक्रो साफ़्ट को 54 एकड़ इंफोसिस को 50 एकड़ विप्रो को 30 एकड़ VJIL को एकड़ पोलारेस को 7 एकड़ और दीगर को हर्राज और अलाटमेंट्स के ज़रीए अलॉट की गई।