शराब कारोबारी विजय माल्या का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। अब इस मामले में वित्त मंत्री, सीबीआई और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया सभी सवालों के घेरे में हैं।
विजय माल्या मामले में अहम किरदार स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के बारे में भी गुरुवार को एक चौंकाने वाली बात सामने आई।
वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने दावा किया कि जब माल्या देश से फरार हुआ उससे करीब 24 घंटे पहले ही उन्होंने एसबीआई को माल्या का पासपोर्ट जब्त करवाने की सलाह दी थी।
उनके अनुसार एसबीआई के साथ मेरी रविवार को मुलाकात हुई। इस मुलाकात में मैंने एसबीआई को सलाह दी कि वो सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाए।
इसके बाद तय बातचीत के मुताबिक मैं समय पर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा लेकिन एसबीआई की टीम वहां नहीं पहुंची। मुझे संदेह है कि मेरी सलाह के बाद कुछ तो हुआ था, क्योंकि एसबीआई चीफ मेरी सलाह से सहमत थे।
रविवार की रात से सोमवार की सुबह के बीच क्या हुआ मैं नहीं जानता। इस मामले में दूसरा बड़ा सवाल सीबीआई से उठता है।
दरअसल, गुरुवार को ही सीबीआई की ओर से बयान आया कि शराब कारोबारी विजय माल्या के खिलाफ 2015 के लुकआउट सर्कुलर में बदलाव करके ‘हिरासत’ से बदलकर उसके आवागमन के बारे में केवल सूचना देना निर्णय की ‘त्रुटि’ थी क्योंकि वह जांच में सहयोग कर रहा था और उसके खिलाफ कोई वारंट नहीं था।
दरअसल, सर्कुलर जारी होने के बाद विजय माल्या ने दो से तीन विदेश यात्राएं की। विदेश जाने के बाद वह लगातार भारत वापस आता रहा जिससे सीबीआई को लगा कि वह सहयोग कर रहा है।