42 साल से कोमा में रहने के बाद नर्स की मौत

मुंबई

एक साबिक़ नर्स अरूना शान भाग जो कि किंग एडवर्ड मेमोरियल ( के ई एम ) हॉस्पिटल , मुंबई में बहिमाना इस्मत रेज़ि के बाद गुज़िशता 42 साल से हालत बेहोशी ( कोमा ) में थी और हिन्दुस्तान भर में उन के चर्चे थे। आज उनकी बिलआख़िर मौत वाक़्य होगई।

66 साला अरूना जो कि हॉस्पिटल में शरीक दुनिया की तवील तरीन मरीज़ा थी। गुज़िशता हफ़्ते निमोनिया से मुतास्सिर होने के बाद हॉस्पिटल के ICU में मस्नूई आज़ाए तनफ़्फ़ुस पर रखा गया था अरूना KEM हॉस्पिटल में बहैसियत नर्स बरसरे ख़िदमत थी 27 नवंबर 1973 को एक वार्ड बॉय मोहन लाल भरता वाल्मीकि ने उन्हें ज़ंजीरों से बांध कर इस्मत रेज़ि की थी।

बादअज़ां उन के दिमाग़ ऑक्सीजन फ़राहम करने वाले पाइप को भी काट दिया। उस वक़्त से वो कोमा में चले गई थीं। अगरचे कि मोहन लाल को हमला और सरका के इल्ज़ाम में 7 साल की सज़ाए कैद हुई थी लेकिन उसे इस्मत रेज़ि और ना ही जिन्सी ज़्यादती का मुजरिम क़रार नहीं दिया गया।

जिन्सी हमले के वाक़िये के 38 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने 28 जनवरी 2011 को एक जर्नलिस्ट पिंकी वीरानी की दरख़ास्त रहम पर कार्रवाई करते हुए एक मेडिकल टीम तशकील दी ताकि अरूना के सेहत की जांच की जाये। वीरानी दरअसल अरूना को ज़हरीले इंजेक्शन के ज़रिये मौत की नींद सुलाने के लिये सुप्रीम कोर्ट से इजाज़त तलब की थी।