छत्तीसगढ के रायपुर वाके अंबेडकर अस्पताल में शरीक 5 साल की एक मासूम बच्ची के पेट से चार किलो का ट्यूमर निकला है। खूंदनी, बालोद की रहने वाली द्रोणिका का बीते 5 महीने से अंबेडकर अस्पताल में इलाज जारी था, उसे मुसलसल कीमोथैरेपी दी जा रही थी, लेकिन इससे आराम नहीं मिलने पर डॉक्टर्स ने रिस्क लेते हुए उसका ऑपरेशन करने का फैसला कर लिया। ऑपरेशन कामयाब रहा और बच्ची अब सेहतमंद है।
ऑपरेशन पीडियाट्रिक सर्जन के लिए एक बहुत बडी चुनौती थी। डॉ अंबेडकर अस्पताल के पीडियाट्रिक सर्जन डॉ अमीन मेमन ने बताया कि ऑपरेशन काफी चैलेंजिंग था और रिस्की भी, क्योंकि ट्यूमर द्रोणिका की ब़डी आंत, लीवर तक जा पहुंचा था। उम्मीद कर रहे थे कि कीमोथैरेपी से ट्यूमर का साइज़ कम हो जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं औ इसलिए ऑपरेशन करना पडा। द्रोणिका अब खतरे से बाहर है।
बताया जाता है की फरवरी से अंबेडकर अस्पताल में शरीक द्रोणिका तकरीबन सालभर से पेट बढने की गैरमामूली बीमारी से जूझ रही थी। उसका पेट बढता चला जा रहा था, उसे बैठने, उठने, लेटने में तकलीफ हो रही थी। तब इलाज करने वाले डॉक्टर्स का मानना था कि वालिदैन ने पेट दर्द को मामूली बीमारी समझकर मुकामी डॉक्टर्स को दिखाया और उसने दर्द कम करने की दवा दे दी।
दर्द कुछ दिन थमा रहा और पेट बढता चला गया। जब बच्ची को यहां लाया गया तब काफी देर हो चुकी थी। बच्ची को फरवरी से लेकर जून के पहले हफ्ते तक कैंसर यूनिट के तहत कीमोथैरेपी दी गई, लेकिन फायदा नहीं हुआ, क्योंकि कैंसर बडी आंत, लीवर तक फैल चुका था और हार्ट तक पहुंचने वाला था। सही वक्त पर पीडियाट्रिक सर्जन्स की तरफ से लिए गए फैसले से द्रोणिका की जान बच गई।
द्रोणिका का ऑपरेशन पीडियाट्रिक सर्जन डॉ अमीन मेमन और डॉ. जीवन पटेल ने किया। इन दोनों पीडियाट्रिक सर्जन ने फैसला लिया कि अगर रिस्क नहीं लेंगे तो बच्ची को बचा पाना मुश्किल हो जाएगा। डॉ. मेमन और डॉ पटेल ने द्रोणिका के घर वालों को ऑपरेशन बच्ची का ऑपरेशन करवाने के लिए समझाया। साढे चार घंटे तक ऑपरेशन चला, जिसके बाद बच्ची आईसीयू में वेंटिलेटर पर थी। अब वेंटिलेटर हटा दिया गया है।