50 दिन नहीं 180 दिन की आवश्यकता?

हैदराबाद 20 नवंबर: बड़े नोटों को रद्द से परेशानी 50 दिन की नहीं बल्कि 180 दिन है। 500 रुपये की मांग के अनुसार नोटस बाजार में पहुंचने के लिए कम से कम 6 महीने लगेंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 की नोटों का चलन बंद करने की घोषणा करते हुए देश की जनता से 50 दिन तक उनसे सहयोग करने की अपील की थी, जो 12 दिन बीत चुके हैं। सार्वजनिक मुद्दों कुछ हद तक कम हो जाने के बजाय और बढ़ गया है। रद्द गये नोटों परिवर्तन सीमा 4500 से घटाकर 2000 रुपये देने से जनता में अधिक नाराजगी बढ़ गई है।

बैंकों और एटीएम पर लोगों की कतारें और विपक्ष के संसद में विरोध को देखते हुए केंद्र अरुण जेटली ने जनता को विश्वास में लेने के लिए तीन सप्ताह में स्थिति सामान्य हो जाने का दावा किया था। हालांकि अर्थशास्त्रियों ने प्रधानमंत्री के 50 दिन और अरूण जेटली के सप्ताह के दावों को खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि स्थिति में सुधार आने के 6 महीने आवश्यक होंगे क्युंकि मार्किट में 2000 नोट उपलब्ध है मगर चिलर न होने की वजह से इसका अस्तित्व बेमानी हो गया है और जरूरत के अनुसार 500 रुपये की नई नोटस मार्किट में पहुंचने के लिए 6 महीने लग सकते हैं।

देश में 4 सुरक्षा प्रेस हैं जहां नोट छपती हैं। प्रधानमंत्री के निर्णय से 500 की 45 प्रतिशत और 1000 की 39 प्रतिशत 84 प्रतिशत नोट बाजारों से गायब हो गई है। रद्द गये एक हजार नोट के मूल्य के अनुसार नई 2000 रुपये की 342 करोड़ नोट छापनी होगी। रद्द गये 500 रुपये के नोटों के बदले 1578 करोड़ रुपये मूल्य वाली नई 500 नोटस छापनी पड़े गी मुल्क में चार सुरक्षा प्रेस में तीन शिफ्ट में काम करते हुए भी नोट छापी गई तो माहाना 300 करोड़ रुपये के नोट ही छप पाएंगे, जिसमें 20 प्रतिशत नोट। 5 ता 100 रुपये पर मुश्तमिल भी रहेगी माबाक़ी 80 प्रतिशत नोट 500 और 2000 रुपये पर मुश्तमिल होगी।10 नवंबर से नई मुद्रा छापने का अमल शुरू हुआ है। छह महीने तक लगातार छापते रहे तो मांग के अनुसार नोट छापी जा सकती है।