रांची : सात-आठ सालों में अफसरों और इंजीनियरों ने मिलकर मनरेगा में 500 करोड़ रुपए का घोटाला कर डाला। प. सिंहभूम, चाईबासा, चतरा, गोड्डा, रांची, गुमला, खूंटी और रामगढ़ में मस्टर रोल, एमबी बुक और स्टीमेट हुकूमत को नहीं सौंपना इस घोटाले का पुख्ता सबूत है।
2007 से लेकर अब तक बिना जमीनी तरक़्क़ी के कागजों पर ही मंसूबा बनती रहीं और पैसे की बंदरबांट होती रही। हैरत है कि प.सिंहभूम, चाईबासा में 150 करोड़, चतरा में 110 करोड़, गोड्डा में 80 करोड़, रांची, गुमला, खूंटी में 90 करोड़ व रामगढ़ में 60 करोड़ का हिसाब-किताब नहीं मिल रहा है। देहि तरक़्क़की महकमा के रियासती मनरेगा सेल की तरफ से चाईबासा में कराई गई जांच में यह खुलासा हुआ है।
ऐसे किया घोटाला
अफसरों व इंजीनियरों ने सड़क, तालाब, कुआं व चेक डैम वगैरह बनाने के नाम पर एडवांस एलॉटमेंट किया। कागज में ही मंसूबों को पूरा दिखा कर रक़म हड़प ली है। घोटाले से मुताल्लिक़ कई खत व फाइल गायब हैं।
प. सिंहभूम (चाईबासा) मामले में रियासती मनरेगा ख़ज़ांची के खुसूसी कार चंद्र झा ने जांच रिपोर्ट में कहा है कि मस्टर रोल, एमबी बुक व स्टीमेट सरकार को नहीं सौंपना पुख्ता सबूत है कि एडवांस रक़म का गबन हुआ है। उन्होंने डीसी, डीडीसी, डायरेक्टर, एक्जी. इंजीनियर, चाईबासा में तैनात एक्जी. इंजीनियर, असि. इंजीनियर व मुलाज़िमीन को मुज़रिम ठहराया है।