6.56 करोड़ लोग अपना देश छो़ड़ने को मजबूर

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के मुताबिक, 65 मिलियन से अधिक लोगों को जबरन विस्थापित किया गया है, और 22.5 मिलियन लोग शरणार्थी हैं। उनमें से एक चौथाई सीरिया से हैं। दस लाख लोग राज्यविहीन हैं, जो किसी भी देश के नागरिक होने के लिए नहीं माना जाता है। इसमें अगस्त से 6,50,000 से अधिक म्यांमार से बाहर रहने को मजबूर किया गया है।

संयुक्त राष्ट्र संघ की शरणार्थी एजेंसी ने कहा कि दुनिया भर में रिकॉर्ड 6.56 करो़ड़ लोग या तो शरणार्थी हैं या शरण मांग रहे हैं या फिर आंतरिक रूप से विस्थापित हैं। संस्था की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 2016 के अंत तक अनुमानित आंकड़ों में 2015 के आंकड़ों से तीन लाख की वृद्धि हुई है। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त फिलिपो ग्रांडी ने कहा कि अभी तक ये आंकड़े अंतरराष्ट्रीय कूटनीति की एक विफलता को दर्शाते हैं। ग्रांडी ने विश्व के कई गरीब देशों पर इस विस्थापन के भार के लिए चेतावनी भी दी। विश्व के लगभग 84 फीसदी विस्थापित लोग गरीब और मध्यम आय वर्ग वाले देशों में रह रहे हैं।

यूएनएचआरसी ने उम्मीद जताई कि जारी किए गए आंकड़े अमीर देशों को इस मुद्दे पर एक बार फिर सोचने पर मजबूर करेंगे। उनका कहना है कि केवल ज्यादा शरणार्थियों को अपने देश में शरण देना ही नहीं, बल्कि शांति स्थापना और पुनर्निर्माण में सहयोग करना भी है।

इसके लिए पोप फ्रांसिस ने प्रवासियों और शरणार्थियों के विश्व दिवस को चिह्नित करने के लिए एक विशेष मास का आयोजन किया है।