सऊदी अरब के 80 साला इमाम-ओ-ख़तीब आलिम दीन को 60 मर्तबा हज अदा करने की सआदत नसीब हुई है। वो दुनिया के सब से ज़्यादा फ़रीज़ा हज अदा करने वालों में सर-ए-फ़ेहरिस्त समझे जा रहे हैं।
उनका नाम गिनीज़ वर्ल्ड रिकार्ड बुक में आ सकता है। सऊदी अरब के जुनूब मग़रिब में वाक़े सूबा जीज़ान के एक मस्जिद के इमाम शेख़ जिब्रान यहा सुलेमान अल मुल्की ने 1954 में अपने वालिद के हमराह पहला हज अदा किया था। उन्होने अपने पहले हज की यादों को ताज़ा करते हुए कहा कि ये तजुर्बा उनके लिए नाक़ाबिल फ़रामोश है, क्योंकि उस वक़्त ट्रांसपोर्ट का ख़ास इंतिज़ाम नहीं था। जीज़ान से मक्का मुअज़्ज़मा पहुंचने के लिए उन्हें तक़रीबन दो हफ़्ते तक सफ़र करना पड़ा।
मुल्की ने कहा कि उस वक़्त ना सड़कें थी और ना ही कारें थी पानी की क़िल्लत ग़िज़ा की कमी के इलावा मुक़द्दस मुक़ामात पर बैतुल-ख़लाओं की भी कमी थी। उस वक़्त तक़रीबन 2,50,000 आज़मीन ने हज की सआदत हासिल की थी हम ख़ेमों में मुक़ीम रहते थे। वादी मना मैदान अरफ़ात और मुज़दल्फ़ा के दरमियान का फ़ासिला हम पैदल ही तए करते थे। 80 साल की उम्र में 60 हज अदा करना बड़े सआदत की बात है।
अल मुल्की ने कहा कि वो अपने लिए अपने वालिदैन रिश्तेदारों और कम उमरी में इंतिक़ाल कर जाने वाले कई फ़रज़न्दों के हक़ में हज बैतुल्लाह का फ़रीज़ा अदा किया है। आज की हज ख़िदमात और माज़ी के दौर के हज इंतिज़ामात में काफ़ी फ़र्क़ देखा जाता है। माज़ी में कोई वसाइल नहीं थे अब अल्लाह ताला के फ़ज़ल-ओ-करम से दुनिया के तमाम मुसलमानों को मनासिके हज की अदायगी के लिए बेहतरीन सहूलतें फ़राहम की जा रही है।