करकोरम : उत्तरी पकिस्तान के करकोरम पहाड़ों पर हुंजा घाटी के नाम से मशहूर जगह पर अपनी ज़िन्दगी ख़ुशी के साथ गुज़ारने वाले हुंजा प्रजाति के लोग औसतन 120 साल की उम्र तक ज़िंदा रहते हैं, यही नहीं बल्कि यहाँ की महिलाएं 65 साल की उम्र तक बूढ़ी नहीं होती हैं. और इस उम्र तक बच्चे को जन्म दे सकती हैं.
यह लोग खुबानी खाते हैं, और देखने में इतने खूबसूरत दिखाई देते कि ऐसा लगता हैं जैसे यह लोग इस दुनिया के है ही नहीं. इनकी संख्या लगभग 87 हज़ार होगी. यहाँ पर रहने वाले अधिकतर बिना किसी बीमारी के मरते हैं. बताया जाता हैं कुछ लोग 160 साल तक भी ज़िंदा रहते हैं.
हुंजा के लोग शून्य के भी नीचे के तापमान पर बर्फ के ठंडे पानी में नहाते हैं. ये लोग वही खाना खाते हैं जो ये खुद उगाते हैं, ये खूबानी, मेवे, सब्जियां और अनाज में जौ, बाजरा और कूटू ही खाते हैं. कम खाना और ज़्यादा टहलना इनकी जीवन शैली हैं, डॉक्टरों ने भी ये माना है कि इनकी जीवनशैली ही इनकी लंबी आयु का राज है !
हुंजा प्रजाति के लोग दिमागी तौर पर बहुत ही ज्यादा स्ट्रांग होते हैं और इनको कभी भी कैंसर की बीमारी नहीं होती. जहां एक और इनकी औरतें 70 या 80 साल की उम्र में भी जवान और खूबसूरत नजर आती है, वही इस प्रजाति के पुरुष 90 साल तक की उम्र में पिता बन जाते हैं. इनकी रोजमर्रा की जिंदगी जीने का तरीका ही इनकी लंबी उम्र का रहस्य यह लोग सुबह 5:00 बजे उठ जाते हैं और अधिकतर यह लोग पैदल बहुत घूमते हैं. हुंजा प्रजाति के लोग मांस ना के बराबर खाते हैं किसी विशेष उत्सव पर ही मांस का सेवन किया जाता है, और यह लोग मांस के बहुत छोटे-छोटे टुकड़े करके खाते हैं. इनके बारे में कहा जाता है कि यह एलेग्जेंडर द ग्रेट की सेना के वंशज हैं.
हुंजा वैली पाकिस्तान में की सबसे पसंदीदा पर्यटन स्थलों में से एक है. इनकी प्रजाति पर और इनकी जीवन शैली पर कई लोग किताबें भी लिख चुके हैं.