नई दिल्ली, एजेंसी। बीते साल 2017 में देश के 7000 ‘सुपर रिच’ (अति धनवान) लोगों ने देश छोड़ दिया। यह संख्या 2016 में भारत की नागरिकता छोड़कर दूसरे देशों में बसने वाले कुबेरों के मुकाबले 16 फीसदी ज्यादा है। इस मामले में विश्व में भारत चीन के बाद दूसरे नंबर पर रहा। न्यू वर्ल्ड वेल्थ की रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है।
2016 में 6,000 और 2015 में 4,000 अति धनवानों (हाई नेटवर्थ इंडिजिअुल्स) ने देश छोड़ा था। वैश्विक स्तर पर देखें तो भारत के 7 हजार के मुकाबले 2017 में चीन के 10 हजार सुपर रिच ने ठिकाना बदला। चीन व भारत के अलावा तुर्की से 6,000, ब्रिटेन से 4,000, फ्रांस से 4,000 और रूसी संघ से 3,000 अति धनवानों ने पलायन किया।
पहली पसंद अमेरिका
देश छोड़कर अन्यत्र बसने के मामले में भारतीयों की पहली पसंद अमेरिका रहा है। इसके अलावा संयुक्त अरब अमीरात, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देश भी भारत से पलायन करने वाले कुबेरों की पसंद बने। जबकि चीन के कुबेरों को अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश रास आए।
भारत-चीन को चिंता नहीं
भारत और चीन को धनवानों के देश छोड़ने की ज्यादा चिंता नहीं है, क्योंकि यहां से जितने लोग देश छोड़ रहे हैं, उनसे ज्यादा नए अरबपति दोनों देशों में उभर रहे हैं। रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई है कि जैसे ही दोनों देशों में जीवन स्तर और सुधरेगा कई धनवान पुन: वापस लौट आएंगे।
सर्वाधिक बसे ऑस्ट्रेलिया में
2017 में ऑस्ट्रेलिया को विश्व के 10 हजार सुपर रिच लोगों ने अपना ठिकाना बनाया। इस मामले में ऑस्ट्रेलिया ने अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी अमेरिका को लगातार तीसरे साल पछाड़ा। पिछले 10 साल से ऑस्ट्रेलिया की कुल संपत्ति 83 फीसदी बढ़ी है, जबकि अमेरिका की 20 फीसदी। इस कारण प्रत्येक ऑस्ट्रेलियाई प्रत्येक अमेरिकी की तुलना में ज्यादा धनवान है।
धनी देशों में छठे नंबर पर भारत
– विश्व के धनी देशों की सूची में भारत छठे स्थान पर है। उसकी कुल संपत्ति 8,230 अरब डॉलर (527892.78 अरब रुपए)] है।
– भारत में 3,30,400 सुपर रिच (10 लाख डॉलर से ज्यादा की संपत्ति)] हैं। इस मामले में भारत विश्व में 9वें नंबर पर है।
– देश में 20,730 करोड़पति हैं। विश्व में सातवां स्थान।
-119 अरबपति भारत में निवास करते हैं। विश्व में अमेरिका व चीन के बाद तीसरा नंबर। अरबपति से आशय 1 अरब डॉलर या ज्यादा की संपत्ति वाले लोगों से है।
विश्व में 95 हजार ने छोड़े देश
2017 में विश्वभर में देश छोड़ने वालों की तादाद 95 हजार रही। जबकि 2016 में यह संख्या 82 हजार और 2015 में 64 हजार थी।