नई दिल्ली, 06 जनवरी: प्रेस कौंसिल ऑफ इंडिया के सदर जस्टिस मार्कंडेय काटजू का मानना है कि आज 80 फीसदी हिंदू और मुसलमान फिर्कापरस्त हैं। इस फिर्कापरस्ती का बीज हिंदुस्तानमें 1857 के बाद अंग्रेजों ने बोया था।
उन्होंने कहा कि बंटवारे के बाद से हिंदुस्तान और पाकिस्तान में अक़्लीयतों के हालात बइज़्ज़त नहीं है। अगर यह हालात न होते तो साल 2002 में गुजरात में मुसलमानों और 1994 में दिल्ली में सिखों के साथ ऐसे वाकियात नहीं होतें।
पाकिस्तान की जेल में बंद हिंदुस्तान के सरबजीत पर लिखी गयी किताब हफ्ते को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में रस्म इज़राई की तकरीब में जस्टिस काटजू ने इज़हार किया। यह किताब पाकिस्तान में सरबजीत के वकील अवैस शेख ने लिखी है। इस तकरीब में पाकिस्तानी वकील व किताब के राइटर अवैस शेख और सरबजीत की बहन दलबीर कौर भी मौजूद थे।
अवैस शेख ने कहा कि मेरी किताब, सरबजीत सिंह-ए केस ऑफ मिसटेकन आईडेंटिटी, वास्तव में वह सच्चाई है जिससे अभी तक आम पाकिस्तानी शहरी रूबरू नहीं हुए हैं। इस किताब को राजकमल पब्लिकेशन ने हिंदी और अंग्रेजी में शाय किया है। शेख ने बताया कि इस किताब की रस्म इज़राई 24 फरवरी को पाकिस्तान में भी की जाएगी।
उन्होंने कहा कि हमारी पूरी कोशिश है कि मुल्क में होने वाले अगले जनरल इलेक्शन से पहले सरबजीत की रिहाई हो जाए। उन्होंने कहा कि आज हिंदुस्तान और पाकिस्तान दोनों की जेलों में बेकसूर शहरी सालों से बंद हैं। जो सजा की मुद्दत पूरी कर चुके हैं वे भी अपने घरों को नहीं लौट पा रहे हैं। उन्होंने दोनों मुल्को में सिविल सोसायटी से ऐसे मामलों के लिए तहरीक चलाने की जरूरत पर भी जोर दिया।