स्पेशल: नोबेल विजेता मुस्लिम साइंटिस्ट अज़ीज़ संकार हैं नए ज़माने की उम्मीद

अस्सलाम ओ अलेकुम, सिआसत हिंदी में रोज़ की तरह हम आज फिर एक बड़ी शख्सियत की बात करेंगे और आज हम जिसके बारे में बात करने जा रहे हैं वो इतिहास का नहीं मौजूदा दौर का हीरो है. तुर्की के सवुर ज़िले में पैदा हुए अज़ीज़ संकार का जन्म 8 सितम्बर 1946 को हुआ.उन्हें तोमस लिंडाहल और पॉल एल. मोद्रीच के साथ साझा तौर पर 2015 का नोबेल प्राइज़(केमिस्ट्री) दिया गया. उनको उनकी डीएनए रिपेयर-स्टडी के लिए ये ख़िताब दिया गया.

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यूनिवर्सिटी ऑफ़ नार्थ कैरोलिना स्कूल ऑफ़ मेडिसिन में प्रोफेसर एक अमरीकी-तुर्क हैं. उन्होंने तुर्की कल्चर को आगे बढाने के लिए तुर्की छात्रों के साथ मिलकर अमरीका में ग्वेन संकार फाउंडेशन बनायी है.

अज़ीज़ का जन्म एक अरबी बोलने वाले ख़ानदान में हुआ था, 8 भाई-बहनों में वो सातवें थे, अज़ीज़ के माता-पिता अनपढ़ थे लेकिन वो हमेशा ही पढ़ाई के पक्षधर रहे.

अपनी शुरुवाती पढ़ाई सवुर ज़िले से की और बाद में इस्तांबुल यूनिवर्सिटी से अपनी एमडी की पढ़ाई की, अपनी रिसर्च के लिए वो यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्सास जो कि डलास में है, गए.

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अज़ीज़ ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब वो जवान थे तो एक राष्ट्रवादी थे.उनके बारे में जो लोग जानते हैं उनका ये कहना है कि वो अपने काम को दिल लगा के करते हैं. नए ज़माने की उम्मीद माना जाने वाला ये साइंटिस्ट उम्र के इस पढ़ाव पर भी ज़बरदस्त काम कर रहा है.

अज़ीज़ संकार तुर्किश अकादमी ऑफ़ साइंसेज और अमेरिकन अकादमी ऑफ़ आर्ट्स एंड साइंसेज के “आनरेरी मेम्बर” हैं.
2015 में अज़ीज़ संकार को केमिस्ट्री में नोबेल प्राइज़ दिया गया.

azeez