श्रीनगर। दिल्ली सीरियल बम धमाकों के आरोपी मोहम्मद हुसैन फाजली 12 साल बाद बरी होने के बाद जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर स्थित अपने घर पहुंचे। उन्होंने एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में कई खुलासे किये हैं। पुलिस हिरासत के 50 दिनों को लेकर उन्होंने बताया कि दिल्ली पुलिस ने मानसिक से लेकर शारीरिक प्रताड़ना तक का हर तरीका अपनाया ताकि हम सच्चाई अदालत में ना बताएं।
उन्होंने बताया कि दिल्ली पुलिस उनके मुंह में मल डालकर रोटी रखकर पानी डालते थे ताकि वे इसको निगल लें। साथ ही पुलिस ने उन पर 200 सादे कागजों पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा। बुनकर का काम करने वाले फाजिली ने कहा कि उन्हें पुलिस हिरासत से कोर्ट ले जाने से पहले ही यातनाएं शुरू हो गई थीं।
हम जैसे ही दिल्ली पहुंचे, हमें लोधी कालोनी स्थित पुलिस स्टेशन ले जाया गया। एक बेंच से मेरे हाथ बांध दिए गए और उस पर लेटने को कहा गया। इसके बाद दो पुलिस वाले मेरे पांव पर खड़े हो गए और एक मेरे पेट पर चलने लगा। एक अन्य पुलिस वाले ने मुझे डिटर्जेंट वाला पानी पिला दिया।
इस मामले के अन्य आरोपी मोहम्मद रफीक शाह को पिछले हफ्ते दिल्ली कोर्ट ने बरी कर दिया था। वह नवंबर 2005 की वह रात काफी सर्द थी। वह मस्जिद से नमाज पढ़कर घर लौट रहा था उसी दौरान पुलिस की टीम उसके पास आई दिल्ली ब्लास्ट के संबंध में पूछताछ के लिए लेकर गई। वो आखिरी दिन था जब उसके माता-पिता ने उसे देखा था। उसके 12 साल बाद वह उनसे मिला।
फाजिली ने कहा कि जब उन्हें शाम को अदालत ले जाया जा रहा था तो धमकी दी गई कि जज से कोई भी सच्चाई ना बताई जाए। जज साहब के सामने कुछ बोलने की हिम्मत मत करना और अगर ऐसा किया तो इससे भी बुरा हश्र होगा। फाजिली के मुताबिक उनकी 50 दिन की रिमांड खत्म होने पर उन्हें तिहाड़ जेल भेज गया।
तिहाड़ में हमें प्रताड़ित नहीं किया गया लेकिन वहां हमला होने का डर था। वहां बंद कैदियों ने शुरुआत में हमें डराया। वो मुझसे दो किलोमीटर तक झाड़ू लगवाते थे। लेकिन बाद में उनका व्यवहार बदल गया। जिस दिन मुझे बरी किया गया जेल में मिठाईयां बांटी गई।