केनीया से ताल्लुक़ रखने वाली ख़ातून ने 90 साल की उम्र में स्कूल में दाख़िला लेकर ये साबित कर दिया कि सीखने के लिए उम्र की कोई क़ैद नहीं होती। जी हाँ! ये इल्म हासिल करने की शौक़ीन तालिबा 90 साल की हैं और उन के हम जमातों में उन के 6 अदद परपोते और परपोतीया भी शामिल हैं।
प्रीसलाअ सिटीने नामी दादी अम्मां आज से चार साल पहले मादालत गाँव के लीडर्ज़ वीज़न स्कूल में दाख़िल हुईं। वो गाँव की मक़बूल तरीन शख़्सियत हैं और वो निहायत मुअम्मर होने के बावजूद बाक़ायदगी से स्कूल पहुंचती हैं।
प्रीसला दूसरे स्टूडेंट्स की तरह यूनीफार्म पहन कर स्कूल आती हैं, और ख़ुद से कई गुना कम उमर बच्चों के साथ बैठ कर पढ़ने में ज़रा भी नहीं शरमातें।