9/11के बाद दुनिया में पाकिस्तान की साख तबदील होगई है

9/11के बाद दुनिया में पाकिस्तान की साख तबदील होगई है। अगरचे इन वाक़ियात में पाकिस्तान या कोई पाकिस्तानी मुलव्विस(शामिल‌) नहीं था।इस के बावजूद इस से सब से ज़्यादा मुतास्सिर भी पाकिस्तान हुआ है।अक़वाम-ए-मुत्तहिदा मौजूदा दौर में अपनी इफ़ादीयत खो बैठा है उसे तबदील करने की ज़रूरत है।

इंतिहापसंद पैदा करने में ख़ुद मग़रिब ने अहम किरदार अदा किया।अमेरीका ने दुहरी पौलिसी इख़तियार कर रखी है।इन ख़्यालात का इज़हार थर्ड वर्ल्ड सालीडीरटी के ऑल पार्टी पारलीमानी ग्रुप के ज़ेर-ए-एहतिमाम 9/11के मौखे पर हाऊस औफ़ कॉमनज़ के बूथ राईड रुम में मुनाक़िदा तक़रीब से ख़िताब करते हुए मुक़र्ररीन ने किया जिन में पाकिस्तानी हाई कमिशनर वाजिद शमस उल-हसन , फ़लस्तीनी सफ़ीर प्रोफ़ैसर मनीवल हिस्सा स्यान,अफ़्ग़ान सफ़ीर डाँक्टर मुहम्मद दाऊद यार, मार्क सेडन ,जान हेमिंग एम पी, रूरी स्टुवर्ड एम पी, डेविड एंडरसन एम पी, पाकिस्तानी हाई कमीशन के मिनिस्टर पोलीटिक्ल नफ़ीस ज़िक्र ये और थर्ड वर्ल्ड सालीडीरटी के चेयरमैन एल़्डरमैन मुश्ताक़ लाशारी शामिल थे।

पाकिस्तानी हाई कमिशनर वाजिद शमस उल-हसन ने कहा कि उसामा बिन लादन को अमेरीका ने सोवीयत यूनीयन के ख़िलाफ़ इस्तिमाल करने के लिए बनाया था।अमेरीका ने जो मुजाहिदीन बनाए थे वो बाद में तालिबान बन गए और अब उन को दहश्तगर्द कहा जा रहा है। उन्हों ने कहा कि 9/11 के बाद उस वक़्त के सदर बुश की पौलिसी की वजह से दुनिया तक़सीम हुई। अगर बुश अक़्लमंदी का मुज़ाहरा करे तो सूरत-ए-हाल मुख़्तलिफ़ होती। इन को चंद दहश्तगरदों की कार्रवाई को सारे मुस्लमानों के खाते में नहीं डालना चाहीए था।

वाजिद शमस उल-हसन ने कहा कि 9/11 के वक़्त में पाकिस्तान में आमिर की हुकूमत थी। अमेरीका और मग़रिब दोनों ने आमिर का साथ दिया। उन्हों ने कहा कि दुनिया के अक्सर मसाइल कश्मीर और फ़लस्तीन के मसाइल की वजह से पैदा हुए हैं। मग़रिब और अमेरीका ने हमेशा इस हवाले से डबल स्टैंडर्ड का मुज़ाहरा किया है।

उन्हों ने कहा कि अक़वाम-ए-मुत्तहिदा ग़ैर मूसिर होगई है। इस को अज सर-ए-नौ मुनज़्ज़म करने की ज़रूरत है। उन्हों ने कहा कि अगर दुनिया में इंसाफ़ नहीं होगा तो अमन भी क़ायम नहीं होगा। फ़लस्तीनी सफ़ीर प्रोफ़ैसर मनीवल हिस्सा स्यान ने कहा कि दुनिया में मग़रिब ने इंतिहापसंदी पैदा की है। उन्हों ने कहा कि अक़वाम-ए-मुत्तहिदा में फ़लस्तीन के हक़ में सैंकड़ों क़रारदादें मंज़ूर हुईं मगर इसराईल की वजह से एक पर भी अमल दरआमद नहीं हुआ।