कोलकाता
केंद्र की मोदी सरकार ने देश की अलग-अलग राज्य सरकारों से रोहिंग्या शरणार्थियों की पहचान करने और इनका बायोमेट्रिक ब्यौरा इकट्ठा करने का आग्रह किया है। सोमवार को केंद्र के इस फैसले के बारे में जानकारी देते हुए गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि राज्य सरकारों को रोहिंग्या शरणार्थियों का बायोमेट्रिक डेटा इकट्ठा करने के लिए कहा गया है। उन्होंने बताया कि राज्यों द्वारा रिपोर्ट मिलने के बाद इसे राजनायिक माध्यम से म्यांमार सरकार को भेजा जाएगा, जिससे कि इस समस्या का समाधान निकाला जा सके।
गौरतलब है कि हाल ही में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) द्वारा आयोजित एक गोष्ठी को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि उन्हें समझ नहीं आता कि क्यों कुछ लोग रोहिंग्या को वापस उनके देश भेजे जाने पर आपत्ति जता रहे हैं जबकि म्यामांर उनको वापस लेने के लिए तैयार है।
‘शरणार्थी का दर्जा पाने को नहीं किया आवेदन’
उन्होंने कहा, ‘गृह मंत्रालय ने अपने हलफनामे (उच्चतम न्यायालय में दायर) में अपना पक्ष साफ कर दिया है कि ये अवैध आव्रजक हैं और उन्हें उनके देश वापस भेजा जाएगा। रोहिंग्या शरणार्थी नहीं हैं।’ सिंह ने कहा, ‘शरणार्थी का दर्जा पाने के लिए एक प्रक्रिया है और उनमें से किसी ने उसका पालन नहीं किया। किसी रोहिंग्या को भारत में शरण नहीं मिली है और न ही किसी ने उसके लिए आवेदन किया है। वे अवैध आव्रजक हैं।’
23वीं पूर्वी क्षेत्रीय परिषद बैठक में भी हुए शामिल
वहीं सोमवार को दिए इस बयान से पहले राजनाथ सिंह कोलकाता में 23वीं पूर्वी क्षेत्रीय परिषद बैठक में भी शामिल हुए। इस उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए गृहमंत्री ने यहां अंतरराज्यीय संबंधों और माओवादी समस्या सहित सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा की। इस बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास शामिल हुए। वहीं बिहार के सीएम नीतीश कुमार की ओर से डेप्युटी सीएम सुशील कुमार मोदी और ओडिशा से सीएम नवीन पटनायक की ओर से वित्त मंत्री शशिभूषण बेहरा बैठक में शामिल हुए। बैठक के दौरान गृहमंत्री ने राज्यों के प्रतिनिधियों से नक्सलवाद, माओवाद समेत तमाम सुरक्षा विषयों सहित अंतरराज्यीय संबंधों के विषय पर चर्चा की।