तो घोसी में दलित और मुस्लिम करेंगे अब्बास अंसारी के भविष्य का फैसला!

शम्स तबरेज़, सियासत न्यूज़ ब्यूरो।
मऊ: उत्तर प्रदेश में मऊ जिले की घोसी विधानसभा सीट में चुनाव तो हर बार होता है, लेकिन इस बार घोसी की जंग कुछ अलग है। घोसी की सीट इसलिए भी खास है, क्योंकि यहां से मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी चुनाव लड़ रहे हैं। अब्बास बसपा के टिकट पर पहली बार राजनीति में अपनी किस्मत आज़मा रहे हैं। बसपा के घोसी सीट का टिकट मौजूदा नगर अध्यक्ष इकबाल खान उर्फ चुन्नू भाई को मिला था, लेकिन अंसारी बंधुओं के बसपा में शामिल होते ही चुन्नू भाई की जगह पर अब्बास अंसारी को टिकट मिल गया।

घोसी में कैसा है दलित और मुस्लिम कंबिनेशन?

घोसी में 1 लाख 24 हज़ार मुस्लिम वोटर हैं, इसके अलावा दलितों का वोट 1 लाख 16 हज़ार है।
मुसलमान वोटर लगभग 61 प्रतिशत हैं। घोसी में मुसलमान और दलित निर्णायक भूमिका में हैं। यूं कहा जाए तो इसी मुस्लिम वोट प्रतिशत ने अब्बास अंसारी को फाटक यानी ग़ाज़ीपुर के मुहम्मदाबाद से सीधे घोसी खींच लाया है और अब्बास का भविष्य यही मुस्लिम वोटर तय करेगा।

दलित और मुसलमानों का कितना है वोट?

घोसी विधानसभा में दलित और मुस्लिम वोटर कुल मिलाकर लगभग 2 लाख 4 हज़ार हैं जब तक बसपा ने घोसी से अब्बास अंसारी को उतारा नहीं था तब तक यहां से चेयरमैन चुन्नू भाई की जीत तय थी क्योंकि राजनीति के जानकारों के अनुसार 2 लाख 40 हज़ार वोट सीधे चुन्नू भाई को मिलता। लेकिन अब ये वोट अब्बास अंसारी को मिलेगा। घोसी विधानसभा सीट से मौजूदा विधायक सुधाकर सिंह मुसलमानों का कुछ वोट काट सकते हैं। लेकिन अगर बात भाजपा की करें तो भाजपा ने फागु चौहान को उतारा है।

सांप्रदायिक ध्रुवीकरण से कितना होगा भाजपा को फायदा?

घोसी में अगर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण हुआ तो फागु चौहान को हिन्दू मतदाता अपना वोट करेगा लेकिन अगर दलित और मुस्लिम साथ आ जाते हैं तो अब्बास अंसारी को रोकना नामुमकिन है।

सियासत ने जब घोसी का दौरा किया तो वहां सपा और बसपा का टक्कर देखने को मिला। मुसलमानों का वोट सपा और बसपा में बटता नज़र आ रहा है।

घोसी में जितना भी विकास कार्य हुआ है उसका श्रेय इकबाल खां उर्फ चुन्नू भाई का जाता दिखाई दे रहा है , लेकिन उनका टिकट काटकर अब्बास को दिया गया। फिलहाल लड़ाई में सपा और बसपा है। देेखना दिलचस्प होगा कि घोसी की जनता किसके पक्ष में अपना निर्णय सुनाती हैं।