नई दिल्ली। संयुक्त अरब अमीरात से आये 13 साल के खालिद मोहम्मद और पाकिस्तान से आये 4 साल के अब्दुल अहद को इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में नई जिंदगी मिली है. खालिद लीवर के ऐसे रोग से पीड़ित थें जो 10 लाख में से किसी एक को होता है. इससे खून में जहर बनने लगता है. मरीज को बचाने के लिए रोज 14 से 16 घंटे फोटोथेरेपी देनी पड़ती है. इसका स्थायी इलाज है लीवर ट्रांसप्लांट है.
खालिद को उसके पिता ने अपने लीवर का कुछ हिस्सा दिया. वहीं, इसी राेग से पीड़ित अब्दुल अहद को उसकी मां ने अपना 30 फीसदी लीवर दिया। ट्रांसप्लांट के बाद दोनों बच्चे स्वस्थ हैं. दिल्ली के इस निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने उनके लीवर का सफल प्रत्यारोपण किया. अस्पताल के ग्रुप मेडिकल डायरेक्टर डॉ. अनुपम सिब्बल ने बताया कि पाकिस्तान से चार वर्षीय अब्दुल अहद और संयुक्त अरब अमीरात से 13 वर्षीय खालिद मोहम्मद को इलाज के लिए दिल्ली लाया गया था.
दोनों के लीवर में जन्म से ही जीटी एन्जाइम नहीं था, जिसके कारण उन्हें परेशानी हो रही थी. जांच में पता चला कि बिना लीवर प्रत्यारोपण के उनकी बीमारी ठीक नहीं हो सकती. लिहाजा अब्दुल अहद की मां और खालिद मोहम्मद के पिता ने लीवर का हिस्सा दान किया। लीवर प्रत्यारोपण के बाद दोनों सामान्य हैं.
डॉक्टरों ने बताया कि जीटी एन्जाइम नहीं होने के कारण बच्चे फोटोथेरेपी की मदद से अपनी जिंदगी किसी तरह जी रहे थे, लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं था. वहीं, लंबे समय तक फोटोथेरेपी के सहारे रखने पर बच्चों के मस्तिष्क पर असर पड़ने के साथ उनकी जान पर भी खतरा था। उन्हें एक दिन में 14 से 16 घंटे फोटोथेरेपी दी जाती थी.