गाय के नाम पर गुंडागर्दी करने वालों, तुम मुझसे बड़े गौ भक्त नहीं हो सकते: अभिसार शर्मा

“हत्यारे और पीड़ित के बीच समानता कायम करने का ये काम पहली बार नही किया बीजेपी ने। अखलाक़ की हत्या के बाद पार्टी के नेताओं के गैरज़िम्मेदाराना बयानों की लम्बी फेहरिस्त है। उसकी हत्या मे आरोपी की दुखद मौत के बाद उसके शव को तिरंगे मे लपेटा गया और फिर उसे श्रद्दांजली देने बीजेपी के बड़े बड़े दिग्गज पहुंचे थे।”

गाय को बदनाम मत कीजिए। ‘प्लीज़.’ आज मैं ये तस्वीर आपके सामने रख रहा हूं। अपनी माँ के साथ मैं भी गाय के प्रति श्रद्दा के चलते गाय को नियमित रूप से चारा खिलाता हूं। सुकून मिलता है। मगर गाय के प्रति प्रेम और सामाजिक न्याय के प्रति मेरी ज़िम्मेदारी में कोई विरोधाभास या टकराव नहीं है। एक सवाल आस्था का है और एक जस्टिस का। उम्मीद है रमण सिंह, निर्मला सीतारमन और गुलाबचंद कटारिया भी ये बात समझेेंगे। मै ये बात आखिर क्यों बोल रहा हूं, इसकी वजह है।

मैडम निर्मला सीतारमन का कहना है कि गौ रक्षा का नाता तो देश के स्वतंत्रता संग्राम से है, लिहाज़ा इस कोशिश को बेमानी न करार दिया जाए। निर्मला जी आप सत्ता पर आसीन मंत्रियों मे उन गिने चुने मंत्रियों मे से हैं, जिनकी मैं निजी तौर पर इज्जत करता हूं। बतौर प्रवक्ता आप बीजेपी की सर्वश्रेष्ठ हैं। मगर आपका ये शिगूफा समझ के परे है।

स्वतंत्रता संग्राम? अब सत्तर साल पहले जाईयेगा तो बात दूर तलक जाएगी। आज़ादी के आंदोलन मे ‘आरएसएस’ के किरदार पर भी बात उठेगी। फिर ये भी बात उठेगी कि संघ को अपने दफ्तर मे तिरंगा फहराने मे इतने साल क्यों लग गए।

अलवर मे ‘पहलू ख़ान’ की हत्या के मद्देनज़र निर्मला जी का बयान बेहद संवेदनहीन है। मामले की संवेदनशीलता को तो समझिए! गाय के नाम पर लोगों को मारा जा रहा है इस देश में। हत्या हुई है।

बीजेपी शासित राजस्थान सरकार के लिए मारे गए व्यक्ति और उसके हत्यारों मे कोई फर्क नही है। दोनो पक्षो के खिलाफ केस कर दिया गया है और ये बावजूद इसके कि पहलू खान एक गौ स्मगलर नहीं था। एक किसान था।

उस गाय को ख़रीदने और उसके दूध के लिए इस्तेमाल के लिए उसके पास जायज़ दस्तावेज़ थे। फिर भी मार दिया गया उसको। अब राजस्थान सरकार एक बेमानी समानता कायम कर रही है दोनो पक्षों में। एक आरोपी है और एक पीढ़ित है। बस, और कुछ नहीं।

मगर राजस्थान सरकार ने मानो उस गुंडई को जायज़ ठहराने का बीड़ा उठा लिया है। बुधवार रात राज्य के होम मिनिस्टर को निधि राज़दान के कार्यक्रम मे जवाब देते नहीं बन रहा था तो कार्यक्रम को बीच मे छोड़कर भाग गए। वाह रे राष्ट्रवादी और वाह रे तुम्हारी दिलेरी। लिंक यहां है

YouTube video

हत्यारे और पीढ़ित के बीच समानता कायम करने का ये काम पहली बार नही किया बीजेपी ने। अखलाक़ की हत्या के बाद पार्टी के नेताओं के गैरज़िम्मेदाराना बयानों की लम्बी फेहरिस्त है।

उसकी हत्या मे आरोपी की दुखद मौत के बाद उसके शव को तिरंगे मे लपेटा गया और फिर उसे श्रद्धांजलि देने बीजेपी के बड़े बड़े दिग्गज पहुंचे थे। 300 प्लस सीटों के लिये इतना तो बनता ही है। क्यों? मगर इस सियासत मे आप एक चीज़ भूल जाते हैं। ऐसे बयान देकर आप उन गौ रक्षा के नाम पर गुंडई करने वालों को नैतिक लाएसेंस (license) दे देते हैं।

और ये एकमात्र ग़ैरजिम्मेदाराना बयान नही है। छत्तीसगढ़ के सीएम तो गौ हत्या करने वालो को फांसी की सज़ा की बात की थी। याद है न आपको? पहलू खान को फांसी पर ही तो चढ़ाया गया है। अखलाक के बाद। ऊना मे भी ऐसा ही किया गया था।

बीजेपी के नेता गै़रज़िम्मेदाराना बयान देते हैं और बेकसूरों को फांसी पर चढ़ाने राष्ट्रवादी गुंडे पहुंच जाते हैं। रमण सिंह सरीके नेता भूल जाते हैं कि ऐसे गैरज़िम्मेदाराना बयान देकर आप खुद प्रधानमंत्रि मोदी के उस बयान की तौहीन कर रहे हैं जिसमे उन्होने गौ रक्षा के नाम पर गुंडई करने से चेताया था। जब संवैधानिक पदों पर बैठे लोग ऐसी बातें करते हैं, तब अंध भक्तों मे इसका क्या संदेश जाता है, इसकी बानगी आपके सामने है।

मगर जब ज़ीरो काम से आपको बम्पर सीटें मिल रही हों और वो भी गौ, श्मशान करके तो परवाह किसे है संवेदनशीलता का। मगर मेरे अज़ीज़ हुक्मरानो, सवाल किसी की जान का है। बेकसूर मारा जा रहा है। आपका एक एक शब्द उस राष्ट्रवादी गुंडे के लिए लीगल फरमान है हत्या को अंजाम देने का। लिहाज़ा समानता कायम मत कीजिए। हत्यारे और पीढ़ित के बीच। स्वतंत्रता संग्राम की दुहाई मत दीजिए.

मौजूदा हालात मे गौरक्षा की प्रासंगिकता पर चिंतन मनन कीजिए। उसके नाम पर हो रही गुंडई को संबोधित कीजिए। जानता हूं सियासी तौर पर ये आपके लिए लाभाकारी नहीं है, मगर पहलू खान भी इस देश का नागरिक है। उसकी हत्या के बाद डर मे जी रहे कई लोग भी देश के नागरिक हैं। उसके मन को टटोलिए।

मुझे याद है जब ऊना में दलितो पर हमला हुआ था, तब मोदीजी का दर्द छलका था। यूपी के चुनाव जो थे। अब तो चुनाव भी नहीं हैं। कम से कम पहलू खान पर एक लफ्ज़ कह दीजिए मोदीजी। क्योंंकि अब तो चुनाव भी नही है। वोट कटने का डर भी नही है।

तुम मुझसे बड़े गौ भक्त नही हो। तुम्हारे लिए पूर्वोत्तर मे सत्ता पाना ज्यादा ज़रूरी है, लिहाजा वहां गौ माता कटती रहे, तब तुम्हें कोई दिक्कत नहीं। तुम्हारे गौ प्रेम ने सिर्फ़ नफरत सिखाई है, जो बिल्कुल गाय के स्वाभाव के खिलाफ़ है। यही समस्या तुम्हारे खोखले राष्ट्रवादी की है। उस पर चर्चा बाद में। खुश रहो शांत रहो।

(लेखक अभिसार शर्मा एक वरिष्ठ टीवी पत्रकार हैं, यह उनके अपने विचार है)